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उत्तराखंड: अब तक अवैध रूप से बनी 314 मजारों को किया गया ध्वस्त… 35 मंदिर भी हटाए गए

वन विभाग की ओर से वन भूमि पर अवैध रूप से किए गए अतिक्रमण के विरुद्ध कार्रवाई जारी है। सैटेलाइट से चिह्नीकरण के साथ ही धरातल पर भौतिक सत्यापन किया जा रहा है। साथ ही धर्मस्थलों को नोटिस भेजे जा रहे हैं। वन विभाग ने स्वयं अतिक्रमण न हटाने की स्थिति में संबंधित के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। वन भूमि पर अतिक्रमण करने पर छह माह की जेल हो सकती है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर अवैध धर्मस्थलों को वन क्षेत्र से हटाने के लिए वन विभाग की कसरत जारी है। इन पर कार्रवाई को लेकर प्रदेशभर में अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) पराग मधुकर धकाते को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।

शहर से लेकर गांव तक बीते कुछ साल में तेजी से वन भूमि पर मजारें बना दी गईं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर जांच हुई तो हजार के आसपास अतिक्रमण कर बनाई गई मजारें पाई गईं। लिहाजा, इन पर अब बुलडोजर चलाया जा रहा है। खास बात यह है कि इन मजारों के नीचे कोई अवशेष भी नहीं मिल रहा है और न ही कोई व्यक्ति इन पर दावे के लिए आगे आ रहा है। भाजपा पहले से ही मजारों को लेकर लैंड जिहाद की आशंका जताती रही है। अब जब विशेष अभियान के तौर कार्रवाई शुरू हुई तो खुफिया एजेंसियां भी चौकन्नी हो गई हैं। अधिकतर मजारों को तोड़े जाने का कहीं कोई विरोध भी नहीं हो रहा है। बहुत से लोग इन्हें मुस्लिम समाज से जोड़कर देखते हैं, जबकि कुछ मजारों के संचालन करते हिंदू समाज के लोग पाए गए हैं।

नोडल अधिकारी डॉ. पराग मधुकर धकाते के अनुसार, वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने से पहले वन अधिनियम के तहत नोटिस भेजे जाने की कार्रवाई की जाती है, लेकिन अधिकतर मजारों के मामलों में कोई वारिस सामने नहीं आ रहा है। ऐसे में निर्विघ्न रूप से मजारों को तोड़े जाने की कार्रवाई की जा रही है। अब तक प्रदेशभर में 314 मजारों को तोड़ा जा चुका है। 35 मंदिर भी हटाए गए हैं। यह सभी धार्मिक स्थल वन भूमि पर अतिक्रमण कर बनाए गए थे। नोडल अधिकारी डॉ. धकाते का कहना है इसके लिए 15 दिन का समय दिया गया है, अभिलेख प्रस्तुत नहीं करने पर निर्माण को मौके से हटा दिया जाएगा। इसके अलावा दो गरुद्वारों को भी नोटिस भेजा गया है।


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