बीजेपी के वरिष्ठ और दिग्गज नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सोमवार 24 फरवरी को उत्तराखंड हाई कोर्ट में चार धाम देवस्थानम बोर्ड के गठन और चार धामों और हिमालयी राज्य के 51 अन्य मंदिरों के प्रबंधन के खिलाफ जनहित याचिका दायर कर दी है। स्वामी के वकील मनीषा भंडारी ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि याचिका पर अगले दो दिनों में सुनवाई की संभावना नजर आ रही है।
स्वामी ने कहा कि यह अधिनियम असंवैधानिक और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है जिसे निरस्त करने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की है। स्वामी ने कहा कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में साफ कहा है कि सरकार मंदिर का प्रबंधन हाथ में नहीं ले सकती। वित्तीय गड़बड़ी होने पर सरकार अल्पकालिक प्रबंधन ले सकती है मगर सुधार के बाद सरकार को प्रबंधन सौंपना होगा। उन्होंने साफ कहा कि मंदिर का संचालन सरकार का काम नहीं बल्कि भक्त व हक हकूकधारियों का है।
मनीषा भंडारी ने कहा कि राज्य सरकार का यह फैसला भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 25, 26 और 31-ए के तहत अल्ट्रा वायर्स (किसी की कानूनी शक्ति या अधिकार से परे) है। आपको बता दें 10 फरवरी को राज्य के पुजारी नियाक के चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने स्वामी से मुलाकात की और चार धाम देवस्थानम प्रबंधम अधिनियम 2019 की अधिसूचना की एक प्रति के साथ जनहित याचिका के लिए कई दस्तावेज भी सौंपे। उसी दिन स्वामी ने ट्वीट कर कहा कि उत्तराखंड के 51 मंदिरों के कई पुजारियों ने उनसे मुलाकात की क्योंकि उत्तराखंड की सरकार ने इस सभी मंदिरों का राष्ट्रीयकरण किया है। उत्तराखंड अटॉर्नी-जनरल को राज्य सरकार से इस गैरकानूनी कार्य को करने से पहले मुझसे सलाह लेनी चाहिए थी। इसलिए मुझे एक जनहित याचिका दायर करनी है।