उत्तराखंड में अब एक बार फिर शराब के कारण सियासत गरमाती नजर आ रही है। इसके पीछे कारण यह है कि उत्तराखंड में शराब के दाम 20 फीसदी तक कम करने का मंत्रिमंडल की बैठक में निर्णय लिया गया है। इसके बाद से ही सोशल मीडिया से लेकर हर आदमी इस मुद्दे पर चुटकियाँ ले रहा है। देवस्थानम अधिनियम से लेकर प्रमोशन में आरक्षण को लेकर में उलझी कांग्रेस को अब अपने आप ही प्रदेश सरकार ने एक बड़ा मुद्दा दे दिया है।
दाम कम करने को शराब प्रमोट करने का आधार बनाकर कांग्रेस ने भाजपा को घेरने की रणनीति बनाई है। कांग्रेस इस समय प्रदेश में पार्टी संगठन को मजबूत करने और विपक्ष के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश में आह्वान अभियान में जुटी हुई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने मंत्रिमंडल के इस निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि राज्य सरकार की आबकारी नीति पूर्ण रूप से शराब माफिया को संरक्षण देने वाली है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने रविवार को बयान जारी कर सरकार के इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से शराब की तस्करी को बढ़ावा मिलेगा और गांवों में हर घर तक शराब पहुंचेगी।
कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने तो इसमें दो कदम आगे बढ़ते हुए एक नया नारा ही दे दिया, ‘सस्ती दारू, महंगा तेल……….’। प्रेस बयान जारी कर धस्माना ने कहा कि एक तरफ सब्जी, दाल, पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ रहे हैं और दूसरी तरफ सरकार शराब सस्ती कर रही है। विभाग का लक्ष्य भी बढ़ा दिया गया है। लक्ष्य पूरा करने के लिए विभाग नई दुकानें खुलवाएगा। शराब की बिक्री बढ़ाने के लिए आक्रामक रणनीति अपनाएगा। इससे शराब का प्रचलन और बढ़ेगा। जहां एक ओर भाजपा सरकार आम जरूरत की चीजों रसोई गैस सिलेंडर, परिवहन निगम की बसों के किराये की दरों में भारी वृद्धि कर आम जनता का शोषण कर रही है, तो वहीं शराब को बढ़ावा देकर देवभूमि को शराब प्रदेश बनाकर लोगों के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ करना चाहती है।