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पहाड़ की जवानी आएगी पहाड़ के काम, हर साल 50 हजार युवकों को मिलेगी नौकरी

एक बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि दुनियां में ये कहावत चली आ रही है कि पहाड़ की जवानी और पहाड़ का पानी कभी भी पहाड़ के काम नहीं आता है और हमारी कोशिश रहेगी कि इस मुहावरे को बदला जा सके और अब लगता है कि धीरे-धीरे ही सही उनकी ये बात सच होने के मुकाम की ओर बढ़ रही है। पिछले दिनों अक्टूबर के पहले सप्ताह में उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार उत्तराखंड इन्वेस्टर समिट का आयोजन किया गया था भले ही इस बात का श्रेय मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को दिया जा रहा हो पर कहीं न कहीं वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच से अवश्य प्रभावित थे।

इसी कड़ी में जब रविवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बातचीत की गयी तो उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में आयोजित उत्तराखंड इन्वेस्टर समिट पूरी तरह से सफल रहा है और अब नौबत यहाँ तक आ गयी है कि हमें निवेशकों को मना करना पड़ रहा है। देवभूमि में इनवेस्टर्स द्वारा उद्योग स्थापित होने के बाद प्रतिवर्ष कम से कम 50 हजार युवाओं को रोजगार मिलेगा छटिया में नवीन अल्ट्रामॉडर्न प्लांट का शुभारंभ करके पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं खेती, गो-पालन, उद्यानीकरण और तमाम तरह की खेती भी यहां की जा रही है।

जिस समय से उत्तराखंड में भाजपा सत्ता में आयी है उद्योग लगाने में निवेशकों को लाभ हुआ है, पिथौरागढ़-देहरादून की हवाई सेवा के लिए शीघ्र ऑनलाइन बुकिंग शुरू कर दी जायेगी, अभी सेवा के लिए हवाई जहाज उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं और जल्द ही इस कमी को दूर किया जाएगा। कौसानी की पांच साल से बंद पड़ी चाय फैक्ट्री को शीघ्र खोला दिया जाएगा और विकास प्राधिकरण के तहत पहाड़ी जिलों को 70 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। पहाड़ में स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए सरकार ने 11 बड़े नीतिगत परिवर्तन किए हैं, जो कि निवेश की राह को आसान करेंगे।


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