देहरादून : पीएम मोदी के आगमन से कई दिन पहले पुलिस और जिला प्रशासन समेत भाजपा संगठन के पदाधिकारी और कार्यकर्ता तैयारियों में जुट गए थे…पीएम मोदी की रैली को यादगार और एतिहासिक बनाने के लिए भाजपा संगठन ने खूब कसरत की तो वहीं पुलिस और जिला प्रशासन भी सर्तक हो गया था. और रैली से पहले बस यही कहा जा रहा था कि पीएम मोदी के रैली के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई है और व्यवस्था चाक चौबंद हैं. लेकिन पीएम मोदी की रैली में कुछ ऐसा हुआ की जनता ने पुलिस को चोर ठहराते हुए खूब गालिया दी औऱ साथ ही पुलिस की व्यवस्था पर कई सवालिया निशान खड़े हुए.
दरअसल हुआ यूं की पीएम मोदी यानी के देश के चौकीदार जिस दौरान मंच से जनसभा को संबोधित कर रहे थे तो वहीं उसी जगह से भाजपा महिला कार्यकर्ताओं और अन्य महिलाओं पर्स, फोन, छाता औऱ चश्मे तक चोरी हो गए. प्रशासन की जनता का सामान रखने की कैसी व्यवस्था थी. लोगों का सामान जमीन पर फेंका हुआ था और जनसभा खत्म होते ही अपनी जिम्मेदारियों से दूर होकर पुलिस भाग खड़ी हुई और जनता की आंख खुली की खुली रह गई.
जानकारी के लिए बता दे कि पीएम मोदी को सुनने के लिए मैदान में प्रवेश के लिए लोगों को पर्स, छाता और अन्य सामान पुलिस द्वारा बाहर रखने को कहा गया..क्योंकि कोई भी सामान मैदान में ले जाना वर्जित था…जिसके बाद लोगों ने पुलिस पर भरोसा जताते हुए अपना सामान, पर्स तक जमा करा दिया लेकिन उन्हें क्या पता था कि चौकीदार की जनसभा के दौरान ही उनका सामान चोरी हो जाएगा और पुलिस भी रफ्फू चक्कर हो जाएगी.
पीएम मोदी की जनसभा खत्म होने के बाद जब लोग बाहर अपना सामान लेने आए तो उनकी आंखें खुली की खुली रह गई. किसी का पर्स गायब था तो किसी का फोन चोरी हो गया यहां तक की चश्मा तक पर हाथ साफ कर लिया वहीं महिलाओं ने इस दौरान खूब गालियां दी और पुलिस को चोर ठहराया. सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब पुलिस द्वारा लोगों को सामान बाहर रखने को कहा गया था तो सामान रखने की कोई व्यवस्था क्यों नहीं की गई. क्योंकि जिस हिसाब से सामान जमीन पर बिखरा पड़ा है और पुलिस फरार है तो ऐसे में कहा जा सकता है कि पुलिस ने बड़ी लापरवाही की है..दूसरा सवाल ये है कि अगर लोगों का सामान पुलिस द्वारा बाहर जमा कराया गया तो जिम्मेदारी के साथ वापस क्यों नहीं लौटाया गया. लोगों के सामान का हर्जाना कौन भरेगा.