कोरोना से जंग में बुजुर्ग न सिर्फ बीमारी को मात दे रहे हैं, ब्लकि अन्य मरीजों का हौसला भी बढ़ा रहे हैं। ऐसे कई केस सामने आए हैं जब कई अन्य बीमारियों से पीड़ित बुजुर्गों ने अपने हौसले के दम पर बीमारी को हरा दिया है। उत्तराखण्ड में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। रोजाना जिस रफ्तार से मामले बढ़ रहे हैं, उससे आमजन दहशत में है। चिंता और चुनौतियों के इस भंवर के बीच कुछ मामले ऐसे भी हैं, जो हौंसला बढ़ाने का काम कर रहे हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है 92 वर्षीय बुजुर्ग महिला परुली देवी का। परुली देवी ने कोविड नियमावली के तहत 17 दिन का आइसोलेशन पूरा कर लिया है और अब स्वस्थ्य हैं। पूर्व की तरह उनकी दिनचर्या अब नियमित हो गई है। राजधानी के सुरभि एनक्लेव, कैनाल रोड (जाखन) निवासी महिला बीती 18 अगस्त को कोरोना संक्रमित मिली थीं। उनका बेटा डॉ. जयदीप कांडपाल व बहु आशा कांडपाल भी कोरोना की चपेट में आ गए थे।
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आशा कांडपाल सचिवालय में अनुभाग अधिकारी हैं। वहीं, आशा के पति सेलाकुई में एक फार्मा कंपनी में वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद पर हैं। पारुली की उम्र अधिक थी, इसलिए 20 अगस्त को उन्हें दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में भर्ती किया गया, जबकि बेटे व बहु को होम आइसोलेशन पर ही रखा गया। बुजुर्ग महिला का अस्पताल में दस दिन तक उपचार चला। इसके बाद वह घर पर आइसोलेशन पर रहीं। जिसकी अवधि दो दिन पहले पूरी हो चुकी है। उन्हें अन्य किसी भी प्रकार की बीमारी जैसे कि शुगर, उच्च रक्तचाप नहीं थी। वह घर पर भी नियमित रूप से योग करतीं हैं। इसलिए वायरस भी उनके शरीर को ज्यादा प्रभावित नहीं कर सका। डॉक्टर भी बता रहे हैं कि मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता के चलते महिला ने कोरोना को आसानी से मात दी है। ऐसे में जो लोग दहशत में हैं उन्हें इस बुजुर्ग के हौसले से सीख लेनी चाहिए। बहरहाल, बजुर्ग महिला के अलावा उनके बेटे व बहु सब पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। आशा कांडपाल ने बताया कि उन्होंने भी सोमवार से ड्यूटी ज्वाइन कर ली है।