भारतीय जनता पार्टी अब अखिलेश यादव को बड़ा झटका दिया है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव बुधवार को नई दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर दी है। भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह के साथ मंगलवार को दिल्ली पहुंची अपर्णा ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी।विधानसभा चुनाव में सपा और भाजपा के बीच चल रहे एक-दूसरे के नेताओं को तोड़ने के खेल में भाजपा ने बड़ा दांव खेला खेल दिया है।
मुलायम की बहू को भाजपा में शामिल कराकर भाजपा यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने छोटे भाई की बहू को संरक्षण नहीं दे सके। मुलायम की दूसरी पत्नी साधना यादव के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी अर्पणा का जन्म एक जनवरी 1990 को हुआ था। उनके पिता अरविंद सिंह बिष्ट एक मीडिया कंपनी में थे। सपा की सरकार में वह सूचना आयुक्त भी रहे। अर्पणा की मां अंबी बिस्ट लखनऊ नगर निगम में अधिकारी हैं। अपर्णा की स्कूली पढ़ाई लखनऊ के लोरेटो कॉन्वेंट से हुई है। बताया जाता है कि प्रतीक यादव को वह स्कूल के दिनों से ही जानती थीं।
साल-2010 में अर्पणा और प्रतीक की सगाई हुई और दिसम्बर 2011 में दोनों विवाह बंधन में बंध गए। विवाह समारोह का पूरा आयोजन मुलायम सिंह के पैतृक गांव सैफई में किया गया था। अर्पणा और प्रतीक की एक बेटी है जिसका नाम प्रथमा है। अपर्णा के सपा से मोहभंग होने के पीछे की वजह लखनऊ कैंट सीट बताई जा रही है ।लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट। इसी सीट से 2017 के चुनाव में सपा के टिकट पर अपर्णा यादव चुनाव लड़ी थीं और 61 हजार से अधिक वोट पाई थीं। अपर्णा को जितना वोट मिला था, वह अब तक इस सीट से लड़े सपा प्रत्याशियों में सबसे अधिक था। 2022 में भी अपर्णा ने कैंट विधानसभा सीट से अपनी दावेदारी की थी। क्यों लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ना चाहती हैं अपर्णा? खबर है कि अपर्णा यादव ने लखनऊ कैंट से टिकट मांगा, लेकिन सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने परिवार से किसी को भी चुनाव मैदान में न उतारने का फैसला किया है।