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28 की उम्र में पति ने दी शहादत, 38 साल बाद घर पहुंचा पार्थिव शरीर तो बिलख पड़ी पत्नी,

अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के हाथीगुर बिंता निवासी चंद्रशेखर हर्बोला 19-कुमाऊं रेजीमेंट में लांसनायक थे। मई 1984 में सियाचिन में पेट्रोलिंग के दौरान 20 सैनिकों की टुकड़ी के साथ वह भी ग्लेशियर की चपेट में आ गए। कुछ समय बाद सभी को शहीद घोषित कर दिया गया था। सेना की ओर से बीती 14 अगस्त को शहीद हर्बोला के परिजनों को उनका पार्थिव शरीर मिलने की सूचना दी गई।

बुधवार की सुबह उनका पार्थिव शरीर आर्मी कैंट लाया गया। दोपहर 12:11 बजे आर्मी वाहन से देशभक्ति गीत और नारों के साथ शहीद के पार्थिव शरीर को घर के लिए रवाना किया गया। 35 मिनट बाद सेना के बैंड की धुन के साथ उनकी पार्थिव देह सम्मानपूर्वक डहरिया स्थित सरस्वती विहार में उनके घर ले जाई गई।

इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी श्रद्धांजलि देने शहीद के घर पहुंचे। उन्होंने परिजनों को ढाढ़स बंधाया। करीब दस मिनट पार्थिव शरीर को घर में रखा गया। उसके बाद घर से करीब 50 मीटर दूर मैदान में तैयार किए गए श्रद्धांजलि स्थल पर ले जाया गया। इसके बाद शहीद के सम्मान में गगनभेदी नारों के साथ पार्थिव शरीर को दोपहर दो बजे चित्रशिला घाट ले जाया गया। वहां कुमाऊं रेजीमेंट के अधिकारियों समेत अन्य सैन्य अधिकारियों ने पुष्पचक्र अर्पित कर सलामी दी। शहीद की दोनों बेटियों कविता पांडे, बबिता गुरुरानी, छोटे भाई पूर्व सैनिक पूरन चंद्र, भतीजे ललित और राजेंद्र ने चिता को मुखाग्नि दी।

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