दुनियाभर में त्राहि-त्राहि मचाने वाली कोरोना महामारी ने इस वर्ष की हिमालयी तीर्थों की चारधाम यात्रा को संकट में डाल दिया है. चारधाम यात्रा में कोरोना का असर साफ देखने को मिल रहा है. हरिद्वार, टिहरी, देहरादून ,उत्तरकाशी, चमोली, और रुद्रप्रयाग मुख्यतः इन छह जनपदों के वाशिंदे चारधाम यात्रा पर किसी न किसी प्रकार से ही निर्भर रहते हैं. यदि आप यात्रा पर निर्भर है तो आप लोगों को अभी से मन बनाना है कि आपके इस रोजगार को पुनः पटरी पर आने में 365 दिन यानी एक वर्ष का समय लगेगा. इस परिस्थिति का मुकाबला संयम और दृढ़ इच्छाशक्ति से करना है हम भली भांति जानते हैं, मुख्यतः यात्रा मई व जून 2 महीने की चलती है जिससे आप बाकी के 10 महीनों का जीवन व्यवस्थित करते हैं, लेकिन इस समय कोरोना के चलते 30 जून तक स्थिति सामान्य होना नामुमकिन है पुनः जीवन को पटरी पर आने में 4 माह से अधिक का समय भी लग सकता है तब यात्रा अपने अंतिम चरण मै पूर्व की भांति ना के बराबर होगी. इन परिस्थितियों से लड़ने के लिए आपको खुद ब खुद तैयार होना है!
इसमें जो सबसे बड़ी संख्या है वह मजदूर वर्ग व छोटा रोजगार करने वालों की है, देवभूमि उत्तराखंड के लोग कर्मयोगी होते हैं आप सभी दृढ़ निश्चयी है. होटल ,गाड़ी , ढाबे, टेंट, डंडी कंडी, खच्चर, दुकान, सैकड़ों कारोबार है. धामों में पूजा करने वाले तीर्थ पुरोहित सब के माथे पर चिंता की लकीरें दौड़ रही है तो मन में अटूट विश्वास अपने अपने आराध्य के प्रति है वह जानते हैं यह परीक्षा का समय क्योंकि भगवान भी परीक्षा लेता है जल्द सब कुछ सामान्य हो जाएगा, क्योंकि यह पवित्र भूमि देवभूमि है जब देवताओं पर भी संकट आये तो उन्होंने अभी इन्हीं जगहों पर निवास किया तब ही पवित्र धामों का निर्माण हुवा।
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