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पेट्रोल-डीजल में आने वाला है बड़ा उछाल, बस ये विधानसभा चुनाव खत्म होने दीजिए

देश में पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पिछले 3 महीनों से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हुई है। पिछले साल दिवाली पर मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाई थी, जिससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी आई थी, तब से अब तक पेट्रोल-डीजल की कीमत लगभग स्थिर बनी हुई है। देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होने की वजह उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड समेत पांच राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों को माना जा रहा है।

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लेकिन यह स्थिति ज्यादा दिनों तक रहने वाली नहीं है। उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों के बाद देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत में भारी उछाल आ सकता है। सोमवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत 94 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई। जब कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रोन ने दस्तक दी थी तो कच्चे तेल की कीमत में गिरावट आई थी। एक दिसंबर को इसकी कीमत 69 डॉलर पर आ गई थी जो चार नवंबर को 81 डॉलर थी। लेकिन ओमीक्रोन का खतरा कम होते ही इसमें फिर तेजी आई है। यूक्रेन और रूस के बीच जारी तनाव भी इसका प्रमुख कारण है।

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हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के चेयरमैन एमके सुराना ने पिछले हफ्ते कहा कि देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय कीमतों के मुताबिक होंगी लेकिन कीमतों में रोज होने वाले बदलाव से उपभोक्ताओं को असुविधा होगा। इसकी वजह यह है कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों में भारी उतारचढ़ाव हो रहा है। अभी घरेलू कंपनियां इसे उपभोक्ताओं पर नहीं डाल रही है जिससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। रेटिंग एजेंसी Crisil के चीफ इकनॉमिस्ट डीके जोशी ने कहा कि सरकार ड्यूटी में कटौती के साथ कीमतों में बढ़ोतरी कर सकती है। सरकार ने नवंबर में ड्यूटी में कटौती की थी। लेकिन तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से महंगाई बेकाबू हो सकती है। इससे ब्याज दरें और इकनॉमिक रिकवरी प्रभावित हो सकती है।

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भारत अपनी जरूरत का करीब 84% पेट्रोलियम प्रोडक्ट आयात करता है, ऐसे में इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत से ही देश में पेट्रोल-डीजल की कीमत तय होती है। लेकिन कच्चे तेल के महंगे होने के बावजूद देश में पेट्रोल-डीजल की कीमत ढाई महीने से ज्यादा समय से स्थिर बनी हुई हैं। इसकी वजह पांच राज्यों में फरवरी-मार्च में होने वाले विधानसभा चुनावों को माना जा रहा है। यूपी में आखिरी चरण की वोटिंग 7 मार्च को होनी है, जबकि नतीजे 10 मार्च को आएंगे, ऐसे में चुनाव खत्म होते ही तेल की कीमतों का बढ़ना लगभग तय माना जा रहा है।

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