उत्तराखंड में प्रेशर हॉर्न पर पूरी तरह से प्रतिबंध होगा। वहीं, विभिन्न क्षेत्रों को शांत और आवासीय क्षेत्र घोषित करते हुए लाउडस्पीकर के लिए मानक तय कर दिए गए हैं। जिसमें ध्वनि प्रदूषण पर एक हजार से 40 हजार रुपये तक जुर्माना वसूला जाएगा। कैबिनेट की बैठक में इसके प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।
बैठक में कहा गया कि केंद्र सरकार की ओर से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 बनाया गया है। जिसके तहत ध्वनि के संबंध में विभिन्न क्षेत्र जैसे शांत क्षेत्र, आवासीय क्षेत्र, वाणिज्यिक क्षेत्र, औद्योगिक में दिन और रात में ध्वनि के मानक तय किए गए हैं। सरकार ने उल्लंघन करने पर जुर्माने का प्रावधान भी किया है। जुर्माना व्यक्तिगत, धार्मिक उत्सवों, मनोरंजन कार्यक्रमों, सांस्कृतिक उत्सवों के संचालन, होटल, भोजनालयों, विवाह समारोह हॉल, औद्योगिक इकाइयों व खनन कार्यों की श्रेणी के आधार पर वसूला जाएगा। शांत, आवासीय, वाणिज्यक व औद्योगिक जोन के हिसाब से ध्वनि की सीमा तय कर दी गई है। शुक्रवार को राज्य सचिवालय में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
व्यक्तिगत उल्लंघन करने पर पहला जुर्माना 1000, दूसरा जुर्माना 2500 और तीसरी बार उल्लंघन करने पर 5000 का जुर्माना लगाया जाएगा। इसी तरह धार्मिक उत्सव और मनोरंजन कार्यक्रम में ध्वनि प्रदूषण का उल्लंघन करने पर 5000 और दूसरी बार उल्लंघन करने पर 10000 और तीसरी बार उल्लंघन करने पर 15000 का जुर्माना लगाया गया है।
इसके साथ ही वाणिज्य और औद्योगिक क्षेत्र में होटल और पब मैं ध्वनि प्रदूषण पर पहला उल्लंघन किए जाने पर 10000, दूसरा उल्लंघन किए जाने पर 15000 और तीसरी बार उल्लंघन किए जाने पर 20000 का जुर्माना प्रावधान किया गया है। साथ ही औद्योगिक इकाई और खनन क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण किए जाने पर पहला उल्लंघन पर 20000, दूसरी बार ध्वनि प्रदूषण पर 30,000 और तीसरी बार में 40000 के का प्रावधान को कैबिनेट ने मंजूरी दी