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उत्तराखंड भोजनमाता मामला: हम विश्व गुरु बनने का ख्वाब देख रहे… पर स्कूल भी मैली है जाति की कालिख से

उत्तराखंड के चंपावत जिले में एक मामला सामने आया है जहाँ एक दलित महिला द्वारा गवर्नमेंट सेकेंडरी स्कूल में खाना बनाने से एक नया बवाल खड़ा हो गया है। इस पर ऊंची जाति के लोगों का कहना है कि स्कूल की प्रिंसिपल और मैनेजमेंट कमेटी ने जानबूझ कर एक दिलत महिला को स्कूल में खाना बनाने के लिए चुना है। उनका यह भी आरोप है कि उन लोगों ने सोची समझी साजिश से योग्य महिला को नहीं चुना और उसके जगह पर इस दलित महिला को सेलेक्ट किया। इस पर स्कूल की प्रिंसिपल ने कहा कि स्कूल में कुल 57 छात्र हैं जिसमें ऊंची जाति के छात्रों की संख्या ज्यादा है। उनका यह भी कहना है कि दलित महिला द्वारा दूसरे दिन बनाए गए भोजन को अनुसूचित जाति के केवल 16 ही बच्चों ने भोजन किया था। प्रिंसिपल ने मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों को दे दी है।

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मामले में जानकारी देते हुए सुखीढांग हाई स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि सभी नियमों को देखते हुए मिड डे मील बनाने के लिए एक दलित महिला का चयन किया गया था। लेकिन इस चयन से ऊंची जाति के लोग खुश नहीं थे। ऊंची जाति के लोग अपने किसी एक जान पहचान वाली औरत को यह पद देना चाहते थे, लेकिन उस औरत को इस पद के लायक नहीं पाने पर प्रिंसिपल और स्कूल मैनेजमेंट कमेटी ने इस दलित महिला को चुना था। इस बात से नाराज ऊंची जाति के लोगों ने इसका विरोध किया और स्कूल में पढ़ रहे अपने बच्चों को दलित महिला द्वारा बनाए गए मिड डे मील को खाने से मना कर दिया।

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ऊंची जाति ने प्रिंसिपल और स्कूल मैनेजमेंट कमेटी पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन लोगों ने जानबूझकर योग्य कैंडिडेट को नहीं चुना है। इस पर स्कूल के अभिभावक शिक्षक संघ के अध्यक्ष नरेंद्र जोशी ने कहा कि नवंबर को हुई ओपन मीटिंग में हमने पुष्पा भट्ट को चुना था, जिनका बच्चा स्कूल में पढ़ता है। वह भी जरूरतमंद थीं, लेकिन प्रिंसिपल और स्कूल मैनेजमेंट कमेटी ने उसे दरकिनार कर दिया और एक दलित महिला को भोजनमाता नियुक्त किया। ऊंची जाति के लोगों का कहना है कि स्कूल की प्रिंसिपल और मैनेजमेंट कमेटी ने जानबूझ कर एक दिलत महिला को स्कूल में खाना बनाने के लिए चुना है। उनका यह भी आरोप है कि उन लोगों ने सोची समझी साजिश से योग्य महिला को नहीं चुना और उसके जगह पर इस दलित महिला को सेलेक्ट किया।

रिपोर्ट के मुताबिक, राजकीय इंटर कॉलेज सूखीढांग में 230 छात्र पढ़ते हैं। इनमें से क्लास 6 से 8वीं तक के 66 बच्चे मिड-डे मील के दायरे में आते हैं। लेकिन सोमवार, 20 दिसंबर को केवल एससी वर्ग के 16 छात्रों ने मिड-डे मील खाया। वहीं सामान्य वर्ग का कोई भी छात्र नहीं आया क्योंकि एससी वर्ग की ‘भोजनमाता’ ने खाना तैयार किया था। ऐसे कई बच्चे घर से ही टिफिन लेकर आए थे। वहीं कइयों ने खाना ही नहीं खाया। इसके बाद विवाद हुआ।


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