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हरेला 2023: हरियाली, शांति, समृद्धि का प्रतीक लोकपर्व… आज से हुई सावन की शुरुआत

हरियाली, शांति, समृद्धि का प्रतीक लोकपर्व हरेला आज मनाया जा रहा है। आज घर-घर में हरेला पूजन किया जाएगा और उसके बाद पौधे रोपे जाएंगे। यह पर्व खासकर कुमाऊं में मनाया जाता है। राज्‍यभर में फलदार, छायादार व औषधीय पौधे रोपे जाएंगे। निरंजनपुर मंडी में हरेला पर्व के उपलक्ष्य में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज पौधारोपण करेंगे। साथ-साथ काश्तकारों को संबोधित करेंगे। सोमवार को दोपहर एक बजे वह पहले पौधारोपण कर सफाई अभियान चलाएंगे। इसके बाद उत्तराखंड कृषि उत्पादन एवं विपणन बोर्ड की ओर से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं से काश्तकारों को व व्यापारियों को अवगत कराएंगे। साथ ही केंद्र व राज्य सरकार की ओर से काश्तकारों के हितों में चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी देंगे।

इसी के साथ उत्तराखंड में सावन महीने की शुरुआत हो गयी है. गौरतलब है कि देशभर में सावन माह की शुरुआत चार जुलाई को हो गई है. हरेला प्रकृति से जुड़ा पर्व है. इस दिन पहाड़ में रहने वाले किसान हरेला के पौधे को काटकर देवी-देवताओं को समर्पित करते हैं और अच्छी फसल की कामना अपने ईष्ट देवता से करते हैं. हरेला पर्व शुरू होने से नौ दिन पहले लोग घर के मंदिर या अन्य साफ सुधरी जगह पर इसे बोते हैं. इसके लिए साफ जगह से मिट्टी निकाली जाती है और इसे सुखाया जाता है. बाद में इसे छाना जाता है और टोकरी में जमा किया जाता है. मक्का, धान, तिल, भट्ट, उड़द, जौ और गहत जैसे पांच से सात अनाज डालकर सींचा जाता है. इसके बाद नौ दिनों तक पूरी देखभाल की जाती है. 10वें दिन इसे काटा जाता है और भगवान को अर्पित किया जाता है. इस दिन घरों में कई तरह के पहाड़ी पकवान बनाए जाते हैं.

खास बात है कि कोई भी त्योहार साल में जहां एक बार आता है, वहीं हरेला के साथऐसा नहीं है. देवभूमि से जुड़े कुछ लोगों के यहां ये पर्व चैत्र, श्रावण और आषाढ़ केशुरू होने पर यानी वर्ष में तीन बार मनाया जाता है, तो कहीं एक बार मनाने की परंपराहै. इनमें सबसे अधिक महत्व सावन के पहले दिन पड़ने वाले हरेला पर्व का होता है,क्योंकि ये सावन की हरियाली का प्रतीक माना जाता है. उत्तराखंड वन विभाग की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में पहले दिन 500 पौधे रोपे गए। वन विभाग ने इस बार कैंपा योजना के तहत प्रदेश में करी ब 15 हेक्टेयर वन भूमि पर 1.29 करोड़ पौधे रोपने का लक्ष्य रखा है। इसमें अधिक से अधिक संख्या में फलदार पौधे लगाए जाएंगे।


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