जिन्दगी में अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कितनी भी मुश्किलें आये इंसान हार नहीं मानता और अपने सपनो को पूरा करके ही दम लेता हैं | ऐसे ही आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक नाई के बारे में जिसने तिनके से ताज का सफ़र तय किया हैं | इनका नाम हैं रमेश बाबू जिनके पास आज 200 से ज्यादा गाडिया हैं और वो रोल्स रोयस जैसी |
शुरुआती जीवन –
रमेश बाबू का जन्म सन 1970 में बेंगलोर में एक नाई के यहाँ हुआ | जब वो सात साल के हुए तो उनके पिताजी का निधन हो गया और घर की सारी जिम्मेदारी उनके मां पे आ गई और उनकी माँ घर चलने के लिए दूसरो के घर में साफ़ सफाई का काम करने लगी और अपनी दुकान यानी की जो रमेश बाबू के पिता चलाते थे उसे रोजाना पांच रुपये से किराये पे दे दिया | घर की ख़राब स्थिति को देखते हुए रमेश बाबू ने कुछ काम करने का विचार किया लेकिन उनकी माँ ने उन्हें पढने को कहा तो उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स से डिप्लोमा किया और फिर खुद की ही सलून में लोगो के बाल काटने लगे | उनके अच्छे व्यवहार के कारण लोग उनकी दुकान पे आने लगे |
अगला पड़ाव –
लगभग पांच साल तक बाल काटने के बाद रमेश बाबू ने अपनी पहली गाडी मारुती ओमनी खरीदी लेकिन उनके पास उसको चलने का समय नहीं था इसीलिए उसे किराये पे दे दिया और ये बिजनस इतना अच्छा चला की साल 2004 तक उन्होंने 7 और गाडिया खरीद ली और उन्हें भी किराए पे देने लगे |
पहली लक्ज़री कार –
रमेश बाबू के मन में विचार आया की क्यूं ना एक लक्ज़री कार खरीदी जाय और उसे भी किराये में दिया जाय लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे तो उन्होंने बैंक से चालीस लाख का लोन लिया और मर्सीडीज बेंज खरीदी | फिर धीरे धीरे उन्होंने एक एक करके कई सारी लक्ज़री गाड़ियां खरीद ली और उन्हें किराये में देने लगे | इसके बाद रोल्स रोयस , बीएमडव्लू , और कई सारी गाड़िया खरीदी | रमेश बाबू की सुपर लक्ज़री कार का एक दिन का किराया पचास हजार रुपये हैं |
इतनी सारी गाडिया होने के वाबजूद भी आज वह लोगो के बाल काटते हैं और कहते हैं की इंसान को उसके जड़ों से जुड़े रहना चाहिए | रमेश बाबू एक ऐसी कहानी के किरदार हैं जिसमे जिसमे उन्होंने रियल लाइफ में जीरो टू हीरो तक का सफ़र तय किया |