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क्या ओमप्रकाश के केस में दिखाएंगे ज़ीरो टॉलरेंस? मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह की अग्निपरीक्षा

उत्तरप्रदेश के विधायक अमनमणि त्रिपाठी की मुश्किलें बढ़ना तय नजर आ रहा है। विधायक पर सरकारी कार्य में बाधा और सरकारी कर्मचारी से दुर्व्यवहार के मामले में दर्ज मुकदमे में धारा बढ़ सकती है। पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार का कहना है कि प्रकरण की जांच शुरू कर दी गई है। अगर इस तरह के मामले की पुष्टि होती है तो निश्चित रूप से कार्रवाई होगी। जीरो टालरेंस की बात कहने वाली त्रिवेंद्र सरकार की असल अग्निपरीक्षा अब शुरू हो गयी है। उनकी सरकार के अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश के एक कारनामे ने न सिर्फ सरकार की किरकरी करायी है बल्कि पूरी शासन व्यवस्था पर भी सवालिया निशान लगाया है।

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लॉकडाउन के नियमों को धता बताते हुए जिस तरह उत्तर प्रदेश के विधायक और उनके साथ दस अन्य लोगों को उत्तराखंड बेरोकटोक केदारनाथ और बद्रीनाथ जाने की छूट दे दी गयी, उससे साफ है कि ओमप्रकाश को किसी की कोई परवाह नहीं। लॉकडाउन में जहां आम आदमी पास के लिए परेशान है, उसकी वाजिब दिक्कतों को भी अनसुना कर गाइडलाइन का हवाला देकर पास के आवेदन निरस्त किए जा रहे हैं। ऐसे में पड़ोसी राज्य के एक विधायक की अर्जी पर मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव से लेकर जिलाधिकारी तक उसे पास दिलाने में जुट जाते हैं।

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बड़ा सवाल इस बीच उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश दोनों सरकारों पर है, मुददा इतना गंभीर है कि दोनों सरकारों की ओर से स्थिति साफ होनी बेहद जरूरी है। यह स्पष्ट होना जरूरी है कि वाकई दोनों सरकारों की इसमें कोई भूमिका है या फिर यह सिर्फ ओमप्रकाश और अमनमणि त्रिपाठी के बीच की कहानी है। कांग्रेस को भी बैठे बिठाए एक बड़ा सियासी मुद्दा मिल गया है और अब वह सरकार पर हमलावर हो गई है। कांग्रस मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को निशाने पर लेते हुए कहा कि सरकार को इस मामले में कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए या फिर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह को त्याग पत्र दे देना चाहिए।


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