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जानिये क्या है रुदप्रयाग निवासी यशपाल नेगी का पलायन रोकने का “यशपाल मॉडल”

पहाड़ में ऐसे-ऐसे कर्मठ, मेहनती, प्रकृति प्रेमी लोग हैं कि जिनकी पूरे देशभर में किसी अन्य जगह मिसाल मिलना नामुमकिन है, और ये वो लोग हैं जो काम तो बहुत ही शानदार करते हैं लेकिन अब तक कभी भी चर्चाओं में नहीं रहे और ना ही इन्हें ये पसंद होता है। इन्हें तो अच्छा लगता है अपने पहाड़ों से प्यार और उनके लिए ही कुछ कर दिखाने का जज्बा आज ऐसे ही एक शानदार व्यक्तित्व से हम आपको यहाँ रूबरू करवा रहे हैं। बात है रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ ब्लाक के प्रसिद्ध गाँव मक्कू मठ की जो तृतीय केदार तुंगनाथ जी का शीतकालीन स्थान भी हैं और कल ही यानी 31 अक्टूबर को तुंगनाथ भगवान की डोली यहाँ विराजमान भी हो गयी है। यंहा रहते हैं देश के प्रमुख पक्षी प्रेमी यशपाल नेगी।

हर पहाड़ी आदमी की तरह लगने वाले नेगी मिलते ही अपने मॉडल के बारे में बताते हैं – मैं गाइड हूं जो 4-5 दिन पक्षी प्रेमियों को घुमाता हूं। मेरा बेटा ड्राइवर जो जॉली ग्रांट हवाई अड्डे से उन्हें अपनी जीप में लाता है ओर मेरी पत्नी कुक है जो अपने घर के 3 कमरों में ठहर रहे पक्षी प्रेमियों के खाने और रहने की व्यवस्था करती है। यशपाल नेगी 2000 से पहले पंचकेदार ट्रेक गाइड का काम करते थे फिर 2000 में उन्होंने कॉर्बेट नेशनल पार्क से 7 दिन के नेचर गाइड का कोर्स किये। यही वो अवसर था जिन्होंने उनकी जिन्दगी बदल दी आज वे देश में पक्षियों की पाई जाने वाली कुल 1200 प्रजातियों में से उत्तराखंड की 650 में से इस इलाके की 300 प्रजातियों के विशेषज्ञ हैं। जिनमें से कुछ यूरोप और देश के अलग अलग हिस्सों से प्रवास पर उत्तराखंड आती हैं। वे हिमालयी pheasant वर्ग की पक्षियों – मोनाल, कोकलाश, हिल पैंतीस ओर रेड फोजंट के तो विशेषज्ञ हैं।

 

यशपाल नेगी का ये सफर इतना आसान भी न था साल 2013 की आपदा से पहले काकड़ागाड़ में वो अपना बर्ड वाचिंग केंद्र चलाते थे आपदा से पहले भी उन पर कही संकट आये। उनकी पत्नी बताती हैं – कि आधा किलो चावल ले कर बच्चों को खिला और खेत का काम करके 10 किलोमीटर नीचे काकड़ा गाड़ जाती थी और फिर अपने पति की मदद करती थी। साल 2013 में उनका ये केंद्र आपदा में बह गया तो उन्होंने अपने पैतृक गाँव मक्कू में ही आने वाले बर्ड वॉचर के लिए घर पर ही होम स्टे खोला है। जो बरसात के अलावा साल भर भरा रहता है साल में 3 लोगों वाला ये पूरा परिवार मिल कर बंगलौर के 2 सॉफ्टवेयर इंजीनियरों से अच्छी कमाई कर लेता है और फिर ऊपर से एक शांत और शानदार अच्छी जिंदगी अलग से जीते हैं। आज पूरे देशभर के अलावा दुनियाभर से आने वाले  सर्वश्रेष्ठ पक्षी प्रेमियों में से आधे उनके पास आकर रुक चुके हैं। वो शुरू में आने वाली परेशानियों से भागे नही , बल्कि उन्होंने अपने गाँव के पास उपलब्ध प्रकृति को शौक ओर आजीवका का साधन बनाया। जो उत्तराखंड के लाखों युवाओं को प्रेरणा दे रहा है।


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