उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बुधवार 3 मार्च को राज्य सरकार को राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पदों की नियुक्ति प्रक्रिया में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय संस्थान (एनआईओएस) के डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को शामिल करने के निर्देश दिए हैं। न्यायालय की खंडपीठ ने इन अभ्यर्थियों को सहायक अध्यापक भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने से रोकने वाले 10 फरवरी 2021 के शासनादेश पर भी रोक लगा दी है। हाईकोर्ट के इस आदेश से एनआईओएस के डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त हजारों अभ्यर्थियों को राहत मिली है। हाईकोर्ट के इस फैसले से करीब 37 हजार अभ्यर्थियों को राहत मिलेगी।
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मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ में हुई। मामले के अनुसार नंदन सिंह बोहरा, निधि जोशी, गंगा देवी, सुरेश चंद्र गुरुरानी, संगीता देवी और गुरमीत सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार के 10 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सीडी बहुगुणा ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता 2019 में एनआईओएस के दूरस्थ शिक्षा माध्यम से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त हैं लेकिन राज्य सरकार ने इस माध्यम से प्रशिक्षितों को सहायक अध्यापक प्राथमिक की नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर कर दिया है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि केंद्र सरकार ने 16 दिसंबर 2020 तथा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने 6 जनवरी 2021 को जारी आदेशों में एनआईओएस की दूरस्थ शिक्षा पद्धति से डीएलएड प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को अन्य माध्यमों से प्रशिक्षित अभ्यर्थियों के समान माना है।
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इस प्रकार राज्य सरकार केंद्र सरकार के विरोधाभासी आदेश नहीं कर सकती है। इन तर्कों के आधार पर कोर्ट ने राज्य सरकार के उक्त शासनादेश पर रोक लगाते हुए इन अभ्यर्थियों को भी सहायक अध्यापक प्राथमिक शिक्षा की भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने को कहा है। इन अभ्यर्थियों की संख्या करीब 37 हजार बताई जा रही है। पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार को आदेश दिया कि वह याचिकाकर्ता को सहायक वन संरक्षक के पदों के लिए 13 मार्च को होने वाली मुख्य परीक्षा में शामिल करे।