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क्यों होता है किन्नरों का अंतिम संस्कार गुपचुप तरीके से, बाहरी लोग देख लें तो उनके साथ ‘ये’ सुलूक होता है

शादी-ब्याह या बच्चे के जन्म जैसी खुशियों के मौके पर घरों में एकाएक कहीं से किन्नर आ धमकते हैं और दुआएं देकर, बख्शीस लेकर अपनी दुनिया में लौट जाते हैं. ट्रैफिक सिग्नल पर रुकी गाड़ियों के शीशे थपकते हुए भी आपने किन्नरों को देखा होगा. प्रचलित सेक्सुअल ऑरिएंटेशन से अलग सेक्स प्रेफरेंस रखने वाले किन्नरों की दुनिया एकदम अलग है, जिसमें आम लोगों का प्रवेश निषेध है. यहां तक कि उनके अंतिम संस्कार के बारे में भी कम ही लोग जानते हैं. जानते हैं, कैसे होता है किन्नरों का अंतिम संस्कार और क्या रस्में की जाती हैं.

किन्नर समुदाय के अलावा किसी बाहरी व्यक्ति को मरणासन्न किन्नर या किन्नर की मौत की खबर बिल्कुल न हो, ये एहतियात बरती जाती है. शव को जहां दफनाया जा रहा हो , वहां अधिकारियों को भी इस बारे में पहले ही बता दिया जाता है कि जानकारी गुप्त रहे. शवयात्रा के दौरान शव को चार कंधों पर लिटाए हुए ले जाने की परंपरा से अलग किन्नरों में शव को खड़ा करके अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि आम लोग अगर मृत किन्नर का शरीर देख भी लें तो मृतक को दोबारा किन्नर का ही जन्म मिलता है.

किन्नर खुद अपने जीवन को इतना अभिशप्त मानते हैं कि शव यात्रा से पहले मृतक को जूते-चप्पलों से पीटा और गालियां दी जाती हैं ताकि मृत किन्नर ने जीते-जी कोई अपराध किया हो तो उसका प्रायश्चित हो जाए और अगला जन्म आम इंसान का मिले. अपने समुदाय में एक भी किन्नर की मौत के बाद पूरा का पूरा वयस्क किन्नर समुदाय पूरे एक सप्ताह तक व्रत करता है और मृतक के लिए दुआएं मांगता है.

किन्नरों में शव को जलाने की बजाए दफनाया जाता है. अंतिम संस्कार गुप्त तरीके से और सादे ढंग से होता है. शव को सफेद कपड़े में लपेट दिया जाता है, ये प्रतीक है कि मृतक का अब इस शरीर और इस दुनिया से सारा नाता टूट चुका है. मुंह में किसी पवित्र नदी का पानी डालने का भी रिवाज है, इसके बाद उसे दफन किया जाता है. मृतक का अंतिम संस्कार समुदाय से बाहर का कोई इंसान न देख सके, इसके लिए किन्नर सारे जतन करते हैं, यही वजह है कि देर रात में ही अंतिम संस्कार किया जाता है. अगर उन्हें भनक भी लग जाए कि बाहरी व्यक्ति अंतिम संस्कार देख रहा है तो ये उस ‘दर्शक’ के लिए खतरनाक हो सकता है. उसे मारा-पीटा जाता है.


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