दावे अनेक जमीनी हकीकत फेल। सरकार दावे तो बहुत करती है गाँव गाँव सड़के पहुंचाने का सुविधाए पहुंचने का शिक्षा पहुँचाने का। लेकिन असली हकीकत धरातल से ही दिखती है हवाई सफर से नही। बिना रोड बिना स्वास्थ्या सुविधाएं बिना शिक्षा यही वजह है उत्तराखंड पलायन की मार झेल रहा है। लोग आज भी मजबूर है अपने घर गाँव को छोड़ने के लिए आज एक ऐसी ही घटना से आपको रूबरू करवाते है। दरअसल पिथौरागढ़ जिले में सड़क नहीं होने से नेपाल सीमा से सटे क्वारबन के ग्रामीण पिछले कई सालों से डोली के सहारे बीमार और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने को मजबूर हैं। इसके बाद भी शासन-प्रशासन को सीमांत के ग्रामीणों का दर्द नहीं दिख रहा है। ग्रामीण सड़क निर्माण की मांग को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी सड़क का निर्माण नहीं किया जा रहा है।
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क्वारबन की बुजुर्ग 95 वर्षीय मोतिमा देवी को पेट में दर्द होने पर ग्रामीणों ने डोली से चार किमी की खड़ी चढ़ाई पार कर उन्हें ओखल पहुंचाया। इसके बाद यहां से बीमार अम्मा को निजी वाहन से अस्पताल पहुंचाया गया। बुजुर्ग महिला को उपचार के बाद घर भेज दिया गया है।प्रधान योगेश सिंह ने बताया कि ग्रामीण आए दिन ऐसे ही डोली के सहारे बीमार, गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने को मजबूर हैं। सड़क निर्माण की मांग को लेकर वे कई बार जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों को पत्र दे चुके हैं।बता दें कि सीमांत से सटे क्वारबन गांव में 120 परिवार रहते हैं। ये ग्रामीण पिछले 30 सालों से सड़क निर्माण की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के वक्त सभी लोग सड़क बनाने का आश्वासन देते हैं लेकिन जीतने के बाद गांव की ओर पलट कर भी नहीं देखते हैं।