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उत्तराखंड: विदेशों में बैठे ठगों ने लगाई 250 करोड़ रुपये की चपत, ग्राहकों को फंसाते थे ऐसे

उत्तराखंड एसटीएफ ने मोबाइल एप के जरिए, रकम दोगुना करने के नाम पर ठगी करने वाले अंतराष्ट्रीय गैंग का खुलासा किया है। प्रारंभिक जांच में ही हजारों लोगों से ढाई सौ करोड़ रुपए की ठगी का खुलासा हो गया है। इस ठगी में चीन के नागरिकों के शामिल होने का संदेह जताया जा रहा है। एसटीएफ इसे उत्तराखंड में धोखाखड़ी का सबसे बड़ा मामला करार दे रही है। मंगलवार को पुलिस मुख्यालय में गैंग का खुलासा करते हुए, एडीजी अभिनव कुमार ने बताया कि हरिद्वार श्यामपुर निवासी रोहित कुमार और कनखल निवासी राहुल कुमार गोयल ने पिछले मार्च महीने में साइबर क्राईम पुलिस स्टेशन को ऑनलाइन धोखाखड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी।

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शिकायत के अनुसार दोनों ने गूगल प्ले स्टोर से पावर बैंक नाम से एक एप्लीकेशन डाउनलोड की थी। निवेश संबंधी इस एप्लीकेशन में 15 दिनों में पैसा दोगुना करने का दावा किया गया था। इस लालच में आकर दोनों ने क्रमश: 91 हजार और 73 हजार रुपये गंवा दिए। इन मामलों में साइबर थाने में दो मुकदमे दर्ज कर जांच शुरू की गई। जिन बैंकों खातों, ऑनलाइन वॉलेट में धनराशि ट्रांसफर हुई उनकी जानकारी ली गई। पता चला कि रोजर पे और पेयू वॉलेट के माध्यम से यह पैसा आईसीआईसीआई और पेटीएम बैंक के खातों में गया है। आगे जांच में आया कि पेटीएम बैंक का खाता प्रमुख संदिग्ध खाता है और इसका संचालन पवन कुमार पांडेय निवासी, सेक्टर 99, नोएडा कर रहा है। एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह की अगुवाई में पवन कुमार पांडेय को मंगलवार को नोएडा से गिरफ्तार कर लिया गया।

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पवन कुमार के खिलाफ अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अधिनियम के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया। एसटीएफ के अनुसार शुरूआती जांच में पता चला कि यह पॉवर बैंक नाम की एप्लीकेशन फरवरी 2021 में शुरू की गई थी। यह एप 12 मई 2021 तक संचालन में रही। इसके बाद एकाएक क्रैश हो गई। इसके अब तक कुल 50 लाख लोगों ने डाउनलोड किया था। साइबर थाने ने वित्तीय लेनदेन का अध्ययन किया तो पता चला कि इसके माध्यम से 250 करोड़ रुपये से ज्यादा ठगे गए हैं। एसटीएफ के अनुसार यह धनराशि 500 करोड़ या इससे भी ज्यादा होने की आशंका है।

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प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि चीनी नागरिकों की वित्तीय मदद से कुछ भारतीय नागरिकों इस पावर बैंक एप का संचालन किया। इसमें कुछ रकम विदेश भी भेजी गई है। हम विदेशी नागरिकों तक पहुंच के लिए केंद्रीय एजेंसियों की भी मदद ले रहे हैं। अन्य राज्यों में दर्ज मुकदमों का भी विवरण लिया जा रहा है। ढाई सौ करोड़ की रकम इस धोखाधड़ी की मामूली रकम ही है। अभी इसमें और खुलासा होने बाकी है।

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