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शर्मनाक: उत्तराखंड में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं ने ले ली एक और प्रसूता की जान, जानिये पूरा मामला

उत्तराखंड में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की पोल एक बार फिर तब खुल गयी जब प्रसूता की मौत हो गयी है। पूरा मामला अल्मोड़ा जिला अस्पताल में सामान्य प्रसव होने के डेढ़ घंटे बाद सामने आया जब  प्रसूता का ब्लड प्रेशर अचानक गिरने लगा था। मृतका के पति का आरोप है कि उनकी पत्नी के तबीयत बिगड़ने के दौरान वहां डॉक्टर और नर्स नहीं थे। उसे रात साढ़े नौ बजे सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी के लिए रेफर किया गया। उसके बाद देर रात लगभग डेढ़ बजे यहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

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अल्मोड़ा जिले में खगमरा कोट निवासी राजेंद्र सतवाल ने बताया कि उसकी पत्नी माधवी को प्रसव पीड़ा होने पर जिला अस्पताल अल्मोड़ा में सुबह 10:25 बजे भर्ती कराया गया था। शनिवार की शाम लगभग साढ़े छह बजे सामान्य प्रसव हुआ। महिला ने बेटी को जन्म दिया जिसका वजन दो किलो आठ सौ ग्राम था। बच्ची को ऑक्सीजन के लिए रखा गया। रात साढ़े आठ बजे तक सब ठीक रहा। इसके बाद माधवी का ब्लड प्रेशर अचानक गिरने लगा। आरोप है कि उस समय डॉक्टर और नर्स वहां मौजूद नहीं थे। तबीयत ज्यादा खराब होने के बाद डॉक्टर और नर्स आए तो जरूर मगर तब तक पल्स रेट और हार्ट बीट नहीं थी। ईसीजी में कुछ संकेत मिल रहे थे।

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रात डेढ़ बजे जब एसटीएच पहुंचे तो डॉक्टरों ने प्रसूता को मृत घोषित कर दिया। सतवाल ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्वास्थ्य निदेशक या सीएमओ अल्मोड़ा समेत उच्चाधिकारियों से शिकायत करेंगे। माधवी बिष्ट हल्द्वानी के एक नर्सिंग कॉलेज में कार्यरत थीं।  मृतका के भाई ने आरोप लगाया है कि जिस एंबुलेंस से उनकी बहन को भेजा गया था, उसमें वेंटीलेटर नहीं था। वेंटीलेटर होता तो बहन की जान बच सकती थी। एसटीएच में एमएस डॉ. अरुण जोशी ने बताया कि मरीज इमरजेंसी में नहीं पहुंचा। किसी तरह का कोई रिकॉर्ड नहीं है।

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