जाना था जापान पहुंच गए चीन, समझ गए ना.. यह फिल्मी गाना मनोरंजन के तौर पर सुनने में बहुत अच्छा लगता है, लेकिन जब यह वाकया किसी परेशान व्यक्ति के साथ घटित हो जाए तो सोचिए उस पर क्या बीतेगी। कुछ ऐसा ही हुआ है लॉकडाउन के दौरान चंडीगढ़ में फंसे रुद्रप्रयाग निवासी गोविंद राम प्रसाद के साथ, जिन्हें रुद्रप्रयाग की बस में बैठाने के बजाय चमोली की बस में बैठा दिया और वह वहीं फंस गए हैं।
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जब इसकी शिकायत चालक-परिचालक से की तो उल्टा उनके साथ अभद्रता की गई।
पीड़ित गोविंद राम प्रसाद ममगाईं के भाई विजेंद्र प्रसाद ममगाईं ने कहा कि उनके भाई चंडीगढ़ में काम करते हैं। सरकार की तरफ से बस भेजने की जानकारी मिलने पर उन्होंने रुद्रप्रयाग के ग्राम इजरा (जखोली) जाने के लिए नियमानुसार पंजीकरण कराया। चंडीगढ़ से उन्हें सोमवार रात बस से चंडीगढ़ से देहरादून लाया गया। मंगलवार सुबह मेडिकल जांच कर बस में बैठाया गया।
जब बस रुद्रप्रयाग से आगे जाने लगी तो उन्होंने चालक-परिचालक से कहा कि उन्हें रुद्रप्रयाग उतरना है। उन्होंने कहा कि हां वहीं उतारा जाएगा। लेकिन, जब अंतिम स्टॉप पर बस रुकी तो पता चला कि वह गैरसैंण पहुंच गए। उन्होंने जब चालक-परिचालक से आपति जताई तो उन्होंने गलत व्यवहार किया। कहा कि इस संबंध में चमोली व रुद्रप्रयाग प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों से भी फोन पर मदद मांगी, लेकिन उन्होंने हामी भर कोई कार्यवाही नहीं की।
विजेंद्र प्रसाद ममगाईं ने कहा कि उनके भाई को गैरसैंण विधानसभा भवन में रखा है।गोविंद राम ने कहा कि वह पहले ही परेशान थे, अब प्रशासन की खामी की बेवजह की सजा भुगतकर टूट गए हैं। उन्होने सोचा था कि गांव में परिवार के बीच पहुंचकर दुख साझा करेंगे, लेकिन अब वह घर जाने की आस में ठगा सा महसूस कर रहे हैं।