उत्तरकाशी की गंगोत्री विधानसभा सीट अपने आप में खास है, दरअसल इस सीट से यह मिथक जुड़ा हुआ है कि जिस पार्टी का उम्मीदवार यह से जीता, राज्य में सत्ता का ताज उसी पार्टी के सिर सजा। इस बार उत्तराखंड में पांच साल में सत्ता परिवर्तन का मिथक भी टूटा, लेकिन गंगोत्री का मिथक आज भी कायम है और गंगोत्री विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी ने दो बार विधायक रह चुके कांग्रेस प्रत्याशी विजयपाल सजवाण को 7 हजार से अधिक वोटों से हराकर जीत दर्ज की।
आजादी के बाद सबसे पहले आम चुनाव हुए 1952 में हुआ। 1952 में उत्तरकाशी सीट से जयेंद्र सिंह बिष्ट निर्दलीय चुनाव जीते और फिर कांग्रेस में शामिल हो गए। उस समय उत्तर प्रदेश में गोविंद बल्लभ पंत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी। दोबारा 1957 में विधानसभा चुनाव हुए और कांग्रेस के जयेंद्र सिह बिष्ट निर्वरोध निर्वाचित हुए। लखनऊ में कांग्रेस की सरकार बनी।
1958 में विधायक जयेंद्र सिंह बिष्ट की मृत्यु के बाद कांग्रेस के ही रामचंद्र उनियाल विधायक बने। इस बीच टिहरी रियासत का हिस्सा रहा उत्तरकाशी वर्ष 1960 में अलग जनपद के रूप में अस्तित्व में आ गया। लेकिन, मिथक बरकरार रहा। वर्ष 1977 में जनता पार्टी से बरफियालाल जुवांठा ने चुनाव लड़ा तो प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनी। 1991 में भाजपा के ज्ञानचंद जीते और राज्य में भाजपा की ही सरकार बनी। उत्तराखंड राज्य बनने के अब तक भी यानि 2017 तक के विधानसभा चुनावों में जिस भी पार्टी का प्रत्याशी गंगोत्री-उत्तरकाशी सीट से चुनाव जीता। प्रदेश में उसी की सरकार बनी है।