महाराष्ट्र में नक्सल प्रभावित सबसे खतरनाक जगह है गढ़चिरौली जिसमें तैनात सीआरपीएफ के जवान ने लाहिरी कैंप में राइफल से खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली। जवान देवभूमि उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले काकड़ीघाट के पास सुनियाकोट ग्राम पंचायत के कोटुली का रहने वाला था। कोटुली गांव (ताड़ीखेत ब्लॉक) निवासी दीपक कुमार (29) के पिता पहले ही गुजर चुके थे जिसके बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी भी इन्हीं पर थी और दीपक 2014 में सीआरपीएफ में भर्ती हुआ था। वह नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली के लाहिरी कैंप में तैनात था। दो साल पहले ही उसका विवाह हुआ था। उसकी पत्नी भावना सुनियकोट ग्राम पंचायत की प्रधान भी है।
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जब से दीपक की मौत की खबर मिली है, पूरे घर के साथ ही गांव में मातम पसरा है। पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। दीपक की मौत अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई है, जिनका जवाब शायद ही कभी मिल पाए। हर किसी के मन को यही सवाल कचोट रहा है कि आखिर ऐसी कौन सी वजह थी, जिसने दीपक को यह आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर किया। दीपक के परिजनों ने बताया कि पिछले डेढ़ महीने से उनका स्वास्थ्य खराब चल रहा था, लेकिन कोई गंभीर बात नहीं थी। 27 अप्रैल की सुबह तक सब कुछ ठीक लग रहा था। खुदकुशी से पहले दीपक ने पत्नी भावना से सुबह फोन पर बात की। कहा कि उसकी सेहत में सुधार हो रहा है। 11 बजे दीपक ने फिर फोन किया और कहा कि वो खाना खाकर ड्यूटी पर जाने वाले हैं।
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दीपक के शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद सीआरपीएफ मुख्यालय से बरेली हवाई अड्डे तक पहुंचाया गया। काठगोदाम से सीआरपीफ के करीब छह जवान बरेली से बीती मध्यरात्रि बाद जवान का शव लेकर उसके पैतृक गांव कोटुली पहुंचे। शव के पहुँचने के बाद ही पूरे गाँव में कोहराम मच गया और सबका रो-रोकर बुरा हाल हो गया। इसके बाद गमगीन माहौल में दीपक कुमार की काकड़ीघाट धाम में अंत्येष्टि की गई।