इन दिनों केन्द्रीय मंत्री उमा भारती उत्तराखंड के दौरे पर हैं, और ये पहला मौका नहीं जब वो यहाँ आ रखी हैं वो साल में कम से कम 3 से 4 बार जरुर उत्तराखंड के दौरे पर होती हैं। उनके इन दौरों के पीछे जो सबसे बड़ा कारण होता है वो है देवभूमि उत्तराखंड के लिए उनके दिल में बसा प्यार और विशेषकर माँ गंगा के प्रति उनका समर्पण। इसी कड़ी में इस बार जब उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू हुई तो वो भी यहाँ आ पहुँची थी। उमा भारती ने कहा कि उत्तराखंड से उनका रिश्ता ठीक उसी तरह का है, जैसे बेटी का अपने मां-बाप के प्रति होता है। बहन का भाई के प्रति होता है।
उमा भारती ने कहा कि अगर मेरा उनका वश चलता तो वह उत्तराखंड में ही पैदा होती और यहीं से चुनाव लड़ती। यहीं से मंत्री बनती और यहीं की मुख्यमंत्री भी बनती। लोकसभा चुनाव के बीच उमा भारती का उत्तराखंड की सियासत से जुड़ा यह पहला बयान है। इससे पहले उमा भारती ने कभी उत्तराखंड से चुनाव लड़ने की बात नहीं कही थी। सत्ता और सियासत के बीच उमा भारती के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री उमा भारती सात मई से लेकर 12 मई तक उत्तरकाशी जनपद की हर्षिल घाटी में ध्यान और साधना में व्यस्त रही। रविवार की शाम को वह उत्तरकाशी से गुप्तकाशी के लिए रवाना हुईं।
लोकसभा चुनाव के मुद्दे पर उमा भारती ने कहा कि मुझे मिजाज का पता नहीं लगता, लेकिन मेरी इच्छा है कि मोदी जी प्रधानमंत्री बनें, मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने को लेकर मेरी इच्छा और प्रबल हो गई है। स्वच्छता के सवाल पर केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि मंत्रालय और सरकार के कामकाज पर वे बिल्कुल भी टिप्पणी नहीं करेंगी, लेकिन उत्तराखंड के लोग स्वभाविक रूप से स्वच्छता प्रेमी होते हैं, उत्तराखंड पहला राज्य था, जो सबसे पहले ओडीएफ घोषित हुआ, इसके लिए सबसे बड़ा योगदान यहां के लोगों का था। उत्तरकाशी में जहां तक सफाई व्यवस्था का सवाल है, सरकार के प्रयासों की एक सीमा होती है, लेकिन लोगों की भी कुछ जिम्मेदारी है। सरकार कूड़ेदान की व्यवस्था कर सकती है, कूड़ेदान पर घरों का कूड़ा डालना लोगों की जिम्मेदारी है।