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उत्तराखंड में इंटरनेट की सुविधा के लिए एरोस्टेट बैलून तकनीक का ट्रायल, ऐसा करने वाला पहला राज्य, जानिये इसकी खूबियाँ

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए उत्तराखंड सरकार कड़ी मेहनत कर रही है। उत्तराखंड के दूरस्थ गावों और दुर्गम क्षेत्रों आज भी इनटरनेट की सुविधा से वंचित है। जिस कारण यहाँ के लोगो को बहुत सी समस्याओं से अवगत होना पड़ता है। इसलिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आईटीडीए सभागार में इंटरनेट एरोस्टेट बैलून को लॉन्च किया। सीएम रावत ने कहा उत्तराखंड मे प्रकृतिक आपदायें होती रहती है, जिस कारण दुर्गम क्षेत्रों मे संचार सेवा सबसे अधिक प्रभावित होती है। जिसमे एरोस्टेट बैलून तकनीक बहुत उपयोगी होगी। इसकी सहायता से सेना, बचाव दल को आपदा से प्रभावित क्षेत्रों मे कम समय मे ही संचार सेवा से जुड़ जाएगी।

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जानकारी के अनुसार उत्तरखंड के लगभग 16,870 गांवों में से 680 गांव ऐसे दुर्गम क्षेत्रों मे है जहाँ मोबाइल इंटरनेट की पहुँच अब तक नहीं है। इस योजना के अंतर्गत जिस क्षेत्र में संचार की सुविधा देनी है वहां पर बैलून उड़ाया जाएगा। 50 मीटर तक अधिकतम ऊंचाई पर जाने वाले बैलून पर सिग्नल देने के लिए एंटीना लगा होगा। एंटीना तार के माध्यम से जमीन पर लगे बेस स्टेशन (कंट्रोल पैनल समेत सभी उपकरण) से जुड़ा होगा। सिग्नल के ऑन होते ही बैलून के माध्यम से 20 से 45 किमी की परिधि में आने वाले क्षेत्र में मोबाइल फोन और इंटरनेट की सुविधा मिल जायेगी।

आज मुख्यमंत्री रावत जी के एरोस्टेट बैलून तकनीक के ट्रायल का शुभारम्भ करते ही, उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य बन गया, जहां बैलून तकनीक का ट्रायल किया गया है। इस योजना से जुडे विशेषज्ञों ने बताया कि बैलून के रख-रखाव में ज्यादा मुश्किल नहीं होगी। 24 से 48 घंटे में बैलून में हीलियम गैस भरने की जरूरत पड़ती ही जिसके लिए संबंधित क्षेत्र के किसी भी व्यक्ति को ट्रेनिंग देकर इस काम में लगा सकते है।


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