कोरेाना महामारी की वजह से जिस फील्ड में सबसे अधिक संकट के बादल छाये हुए हैं वह है टूरिज्म और अब उत्तराखंड सरकार ने गहरे संकट से जूझ रहे परिवहन सेक्टर को कुछ राहत देने की घोषणा की है। बीते दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में सभी छोटे-बड़े यात्री और मालवाहक वाहनों का तीन महीने का मोटर व्हीकल टैक्स एक बार फिर से माफ करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। यह छूट अब भारवाहक ट्रकों, स्कूल वैन और फैक्ट्री वाहनों को भी मिलेगी। इससे राज्य के तकरीबन तीन लाख व्यावसायियों को लाभ मिलेगा। अब विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के वेतन से ही आयकर की कटौती होगी। इसके लिए मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड (उत्तरप्रदेश राज्य विधान मंडल, (अधिकारियों के वेतन भत्ते) (संशोधन) विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी है।
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लॉकडाउन की वजह से पर्यटन आधारित परिवहन व्यवसाय पूरी तरह से चौपट रहा है। सरकार ने बीती 28 मई को अधिसूचना जारी कर सार्वजनिक सेवायानों में स्टेज कैरेज बस, कॉन्ट्रेक्ट कैरेज ऑटो रिक्शा, विक्रम व परमिट से छूट प्राप्त ई-रिक्शा को तीन महीनों यानी अप्रैल, मई और जून तक मोटरयान कर के भुगतान से छूट दी थी। मंत्रिमंडल ने गुरुवार को इस छूट को आगे तीन महीनों जुलाई, अगस्त और सितंबर तक बढ़ाने पर मुहर लगाई। एक आंकलन के अनुसार प्रदेश के तीन लाख से ज्यादा वाहनों को इस फैसले का लाभ मिलेगा। लेकिन ये हकीकत से बहुत दूर वाली बात लगती है क्यूंकि जब जुलाई में इससे मिलने वाली छूट पहले खत्म हो गयी थी तो उस दौरान परिवहन विभाग द्वारा गाड़ियों के चालन कटने शुरू हो गए थे।
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जिसके बाद जिन व्यवसायियों का कोरोना संकट में थोड़ा बहुत काम चल रहा था उन्होंने जुलाई से सितम्बर तक का रोड टैक्स काटने में ही भलाई समझी और अब सरकार के द्वारा रोड टैक्स माफी की जो घोषणा हुई है उन्हें उसका कोई भी लाभ नहीं मिलने वाला है। परिवहन व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि वर्तमान में 90 फीसदी वाहन सरेंडर हैं इसलिए सरकार को चाहिए कि टैक्स माफी आगे की तारीख से शुरू की जाए अब बीती अवधि का टैक्स माफ़ करना हास्यास्पद होगा। सरकार को यह छूट अक्टूबर माह से लागू करनी चाहिए वरना इस घोषणा से 10 फीसदी लोगों को ही लाभ होने वाला है।