देवस्थानम बोर्ड भंग कराने की माँग पर केदारनाथ में चल रहा तीर्थपुरोहितों धरना-प्रदर्शन अब क्रमिक अनशन में तब्दील हो गया है। मंगलवार को आक्रोशित तीर्थपुरोहितों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खून से लिखा पत्र भेजा। पत्र में पुरोहितों ने कहा कि जल्द से जल्द देवस्थानम बोर्ड भंग किया जाए और केदारनाथ में पौराणिक काल से चली आ रही परम्पराओं के साथ चल रहा छेडछाड़ भी रोका जाए। इससे पहले तीर्थ पुरोहितों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम भी रक्त रंजित पत्र जारी किया गया था।
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केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला व महामंत्री कुबेरनाथ पोस्ती के नेतृत्व में मंगलवार को तीर्थपुरोहित मंदिर परिसर में एकत्रित हुए। यहां सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग की गई। वक्ताओं का कहना था कि पिछले साल से आंदोलन चल रहा है लेकिन सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। उन्होंने सरकार पर तीर्थपुरोहित समाज व हक-हकूकधारियों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए नारेबाजी भी की। इस मौके पर तीर्थपुरोहित साकेत बगवाड़ी ने राष्ट्रपति व निति बगवाड़ी से मुख्यमंत्री को खून से लिखा पत्र लिखकर बोर्ड को भंग करने की मांग की।
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तीर्थपुरोहितों ने चारधाम यात्रा शुरू करने और देवस्थानम बोर्ड को भंग न किए जाने तक प्रदर्शन जारी रखने का निर्णय लिया है। इसके बाद आंदोलनकारी तीर्थपुरोहितों ने मंदिर मार्ग से हेलीपैड तक नारेबाजी के साथ जुलूस भी निकाला। इस मौके पर प्रकाश तिंसोला, प्रदीप शर्मा, आचार्य संतोष त्रिवेदी, मनोज तिवारी समेत अन्य तीर्थपुरोहित मौजूद थे। सवाल यह है कि जब प्रधानमंत्री मोदी केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों में बार-बार जनभावनाओं को तवज्जो देने की वकालत कर रहे हैं तब क्या देवस्थानम बोर्ड को लेकर हर गुजरते दिन भीषण होते संघर्ष और आंदोलन को लेकर धामी सरकार को चिन्तित नहीं होना चाहिए?