ऑपरेशन 555 पतरामपुर के तीसरे दिन बाराबंकी मध्य कमान से आई सेना की काउंटर एक्सप्लोसिव डिवाइस यूनिट (सीईडीयू) ने मीडियम वर्ग के 30 और मोर्टार सेल (मिसाइलें) नष्ट किए हैं इसके लिए सेना ने फायर पिट से कुल पांच धमाके इस दौरान किये। छोटे-बड़े बचे 305 मोर्टार सेल अब भी सेना के लिए चुनौती बने हुए हैं जबकि 220 मोर्टार सेल बीते शुक्रवार को भी नष्ट की जा चुकी हैं। शनिवार को कर्नल विनय बहल ने ऑपरेशन स्थल का इस दौरान निरीक्षण किया फिर उन्होंने इस आपरेशन में लगे सैन्यकर्मियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं।
ये पूरा मामला है दिसम्बर 2004 की उधमसिंहनगर के काशीपुर शहर में स्थित है एसजी स्टील फैक्ट्री जिसमें उस दौरान स्क्रैप आ गया था, अब जब इस स्क्रैप को काटा जा रहा था तो स्क्रैप में मौजूद एक मिसाइल फट गयी जिसके कारण मौके पर ही एक मजदूर की मौत हो गयी थी, इस फैक्ट्री में विदेशों से भी भारी मात्रा में स्क्रैप आता था और जांच के बाद पता चला कि पूरे क्षेत्र में 67 बड़ी और 488 और छोटी मिसाइल सक्रिय हैं जिसके बाद पूरे प्रशासन में हडकंप मच हुआ था। और अब पिछले 13 सालों से ये 555 मिसाइलें यहीं मौजूद थी जिसके कारण आस पास के 5 गांवों की लगभग 20 हजार की आबादी इन्ही मिसाइलों के ढेर पर जीने को मजबूर थी।
पिछले 13 साल से लोग मौत के ढेर पर जीने के लिए इसलिए मजबूर थे क्यूंकि इतने सालों के बाद भी प्रशासन मिसाइल डिफ्यूज करने के लिए फंड की ब्यवस्था नहीं कर पाया था। अब 5 गांवों के लोगों ने चैन की सांस ली है क्यूंकि 13 साल के लम्बे इन्तेजार के बाद मिसाइल डिफ्यूज करने के लिए फंड की ब्यवस्था हो पायी थी। एसएसपी डॉ. सदानंद दाते ने पतरामपुर चौकी के पास दफ्न की गई मिसाइलों को डिस्पोजल करने संबंधी साजो-सामान खरीदने के लिए 4 दिसंबर 2017 को पुलिस मुख्यालय से पत्राचार किया इसके बाद बजट स्वीकृत हुआ।