साल 2002 में वो पहला मौका था जब केदारनाथ दर्शन के लिए हेलिकॉप्टर सेवा का प्रयोग होने लगा था उस समय पवन हंस कंपनी यात्रियों को केदारनाथ के दर्शन कराती थी इसके कुछ समय बाद 1-2 कंपनियां केदारघाटी में और आ गयी थी जो हेलिकॉप्टर से केदारनाथ के दर्शन करा रही थी। इसके बाद केदारनाथ आपदा के बाद तो ये चलन बहुत तेजी से बड़ा और वर्तमान समय में तरकीबन 12-13 हेलिकॉप्टर कंपनियां यहाँ कार्यरत हैं। इन हैली कंपनियों से यात्रियों को तो सुविधा हो जाती थी पर इनसे पूरे दिन इतना अधिक शौर शराबा होता था कि आम लोगों का रहना तो दूभर हो ही जाता था पर जिनका सबसे अधिक नुकसान होता था वो थे देश के भविष्य यानी स्कूल के छोटे-छोटे बच्चे। पूरे दिन इस शोरशराबे के कारण उनकी पढाई में बढ़ा व्यवधान उत्पन्न हो जाता था।
इसी को ध्यान में रखते हुए रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कुछ समय पहले सभी हेलिकॉप्टर कंपनियों से एक मीटिंग की थी और इसका समाधान निकालने के लिए प्रयास करने को कहा था। केदारनाथ यात्रा के दौरान गुप्तकाशी, फाटा, सोनप्रयाग, शेरसी, नाला, नारायणकोटी समेत कई स्थानों पर यात्रियों की आवाजाही के लिए हेलिकॉप्टर का प्रयोग होता है तो इस दौरान मासूम बच्चे ढंग से पढाई नहीं कर पाते थे जिसके बाद जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने हैली कंपनियों से मीटिंग के दौरान सीआरएस मद से संबंधित स्कूलों में दो-दो कमरे साउंडप्रूफ बनाने को कहा था। उसके बाद जिलाधिकारी की इस पहल पर सभी हैली कंपनियों ने काम करना शुरू कर दिया था।
इसी का नतीजा है कि ऐरो एविएशन ने खाट, आर्यन एविएशन ने नारायणकोटी, ग्लोबल एविऐशन ने सोनप्रयाग एवं हिमालयन एविऐशन ने सेरसी में दो-दो विद्यालयों में साउंड प्रूफ भवनों का निर्माण पूरा कर दिया है। इसके अलावा हेरिटेज व पवन हंस एविएशन की ओर से दो-दो विद्यालयों में निर्माण कार्य का काम इन दिनों जोरों से चल रहा है। यूटीएयर एविएशन की ओर से भी एक सप्ताह के अंदर साउंड प्रूफ कमरों का काम पूरा कर लिया जाएगा। फिलहाल पिनैकल एवं ट्रांस भारत एविएशन केदारघाटी में हैली सेवाएँ संचालित नहीं कर रही हैं। जब यह दोनों कंपनियां उड़ानें संचालित करेंगी तो उन्हें भी साउंडप्रूफ कमरों के निर्माण के लिए कहा जाएगा।