इन दिनों एक नयी बहस फिर से पूरे भारत के साथ-साथ दुनियांभर में भी छिड गयी है और वह ये कि भारतीय सेना के पर्वतारोहियों की ओर से हिमालय में बर्फ में विशाल आकर के पदचिन्हों का मिलना। इन तस्वीरों के साथ इनके हिममानव येति के पदचिन्ह होने का दावा करने वाली जानकारी ने येति के अस्तित्व को लेकर एक नई बहस भले ही छेड़ दी है। भारतीय सेना की पर्वतारोहण टीम ने 9 अप्रैल 2019 को मकालू बेस कैंप के नजदीक हिममानव ‘येति’ के 32 व 15 इंच के रहस्यमय पैरों के निशान देखे थे। इसके बाद से येति के अस्तित्व एवं हिमालय में उनकी उपस्थिति को लेकर चर्चा और बहस ने फिर जन्म ले लिया है।
लेकिन अनुभवी पर्वतारोही और हिमालयी जीव-जंतुओं के प्रसिद्ध जानकर इसे केवल काल्पनिक मानते हैं और इनके अस्तित्व को नकारते हैं। इस प्रकार के काल्पनिक हिममानव इससे पहले मकालू-बरून नेशनल पार्क में भी देखे जाने के भी दावे हुए हैं लेकिन इसका भी कोई ठोस या विश्वसनीय प्रमाण अभी तक नहीं मिल पाया है। लेकिन उनकी कोई भी विश्वसनीय फोटो या अन्य प्रमाण अब तक नहीं मिल पाया है जिससे वैज्ञानिक एकमत हो और कोई दावा कर सकें। जाने माने फोटोग्राफर और पर्वतारोही पद्मश्री अनूप साह हिमालय की कई दुर्गम चोटियां फतह कर चुके हैं और दर्जनों अभियानों के हिस्सा रहे हैं।
अनूप साह का मानना है कि हिममानव येति केवल एक काल्पनिक प्राणी है और कई बार हिमालयी भालू दो पैरों पर भी चलते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि उनके साथी पर्वतारोहियों ने भी दो पैरों पर चल रहे भालुओं को येति समझ लिया था जो बाद में स्पष्ट हो गया कि वे भालू ही थे। शाम के धुंधलके में अक्सर इन भालुओं को पर्वतारोही येति समझ लेते हैं। साह ने कहा कि बर्फ में इनके पैरों के निशान बर्फ गलने के साथ बड़े नजर आने लगते हैं, जिससे इनके किसी विशाल दो पैर वाले जीव होने का भ्रम होता है जिसे लोग हिममानव से जोड़ लेते हैं। हिमालय में चारों ओर सफेद बर्फ एवं छाया के प्रभाव के कारण कभी-कभी हैल्युसिनेशन (मतिभ्रम) के कारण भी किसी विचित्र जीव की उपस्थिति का अहसास होता है।