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उत्तराखंड: सीधे-सादे तीरथ नहीं सीख पाए राजनीतिक चातुर्य, मात्र 114 दिन ही रहा मुख्यमंत्री कार्यकाल

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत तीन महीने और 23 दिन यानी मात्र 114 के अपने कार्यकाल में नेतृत्व क्षमता साबित नहीं कर पाए। और यही इकलौता सबसे बढ़ा कारण उन पर भारी पड़ गया है। हालांकि उनके मुख्यमंत्री पद से हटने के पीछे संवैधानिक कारणों का प्रमुख रूप से उल्लेख किया जा रहा है, लेकिन सीधी-सादी छवि के तीरथ राजनीतिक चातुर्य के मोर्चे पर मात खा बैठे हैं। खुद के उपचुनाव की रणनीति को लेकर असमंजस, कुंभ में कोरोना जांच फर्जीवाड़ा, गाहे-बगाहे बयानबाजी को लेकर विवादों में घिरने की वजह से बनी छवि तीरथ सिंह रावत से मुख्यमंत्री का ताज छीनने का कारण बन गई।

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मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने कहा कि दोनों टीएसआर (त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत) भले आदमी हैं, लेकिन भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने दोनों को चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है। हरीश रावत ने कहा कि इससे बड़ा झूठ क्या हो सकता है कि कोरोना संक्रमण की वजह से उपचुनाव नहीं हो सकते और संविधानिक बाध्यता के कारण मुख्यमंत्री इस्तीफा दे रहे हैं। वास्तविकता यह है इसी कोरोनाकाल में सल्ट में भी उपचुनाव हुआ। मुख्यमंत्री वहां से भी चुनाव लड़ सकते थे। कहीं और से किसी विधायक का इस्तीफा करवाकर भी चुनाव लड़ सकते थे। कानून की पूरी जानकारी न होने और मुगालते में रहने के कारण राज्य के ऊपर एक और मुख्यमंत्री थोप दिया गया। पांच साल में भाजपा तीन मुख्यमंत्री उत्तराखंड को दे रही है।

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मुख्यमंत्री के रूप में तीरथ सिंह रावत को एक के बाद एक कई चुनौती से जूझना पड़ा। पहले कुंभ के सुरक्षित आयोजन और फिर कोरोना की दूसरी लहर के कहर के चलते मुख्यमंत्री को अन्य मोर्चों पर संभलने का वक्त नहीं मिल सका। 27 जून को नैनीताल जिले के रामनगर में भाजपा के तीन दिनी चिंतन शिविर के बाद पार्टी का सबसे पहला रणनीतिक कदम मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे की पेशकश के रूप में सामने आया। तीन दिन तक लगातार मंथन के बाद यह तय हो गया कि भाजपा हाईकमान 2022 को होने वाले विधानसभा चुनाव तक तीरथ सिंह रावत को बतौर चेहरा आगे करने नहीं जा रहा है। इस पूरे घटनाक्रम ने इस तथ्य को भी पुष्ट कर दिया कि सांसद से मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत नेतृत्व क्षमता दिखाने को मिले मौके को साबित करने में चूक गए।

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