पहाड़ में ये एक आम धारणा है की जहाँ 12वीं पास करो और फिर बस उसके बाद अपना बोरिया बिस्तर बांधो और निकल जाओ रोजगार के लिए दिल्ली, मुंबई या किसी अन्य बड़े शहर में रोजगार की खोज के लिए, पर पिछले कुछ समय से इस धारणा को बड़ा बल मिला है कि अगर आपमें कुछ करने का जज्बा और हाथों में हुनर हो तो पहाड़ों में रहकर भी काफी सारे काम किये जा सकते हैं। ऐसे ही एक युवा की कहानी से आपको यहाँ रूबरू करा रहे हैं क्यूंकि पहले ही भारत में कोरोना माहामारी से करोड़ों नौकरियां ख़त्म हो चुकी हैं और इस दौरान पहाड़ों में बेरोजगार युवा कुछ न कुछ ऐसा काम ढूंड रहे हैं कि उनका जीवन बसर भी हो जाए और उन्हें अपनी माटी से दूर भी न जाना पड़े।
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चमोली जिले के विकास नगर घाट के लाँखी गांव के रहने वाले हैं मनोज नेगी जिन्होंने कुछ समय पहले अब पहाड़ में ही रहने का निश्चय किया। और इसी कड़ी में वो अब अपने गाँव में चाऊमीन की मशीन लगाई है और खुद ही चाऊमीन का उत्पादन करते हैं और हजारों की कमाई हर महीने कर रहे हैं। मनोज नेगी हरिद्वार, रुद्रपुर जैसे शहरों में नौकरी करते थे लेकिन हुए उनके मन में यह टीस थी कि गांव में रहकर ही कुछ करना है। फिर क्या था एक दिन किसी साथी के साथ मजाक मजाक में वार्ता हुई, चाऊमीन बनाने का काम सिखा और चल दिए अपनी जन्म भूमि की ओर।
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मनोज बताते हैं कि उन्होंने इस साल जनवरी माह में उन्होंने चाऊमीन बनाने का काम शुरू किया है । मशीन खरीदने के लिए उन्होंने कोई लोन नहीं लिया है, अपनों की मदद लेकर उन्होंने यह काम शुरू किया है । आगे मनोज बताते हैं कि वर्तमान में पूरे घाट बाजार,मोख घाटी, सितेल, रामणी से लेकर काण्डई पुल तक वह चौमिन की सप्लाई करते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि निकट भविष्य में जैसे जैसे माँग बढ़ती जायेगी, इससे अन्य लोगों को भी रोजगार मुहैया करवाया जाएगा।