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आज बंद होंगे रुद्रनाथ के कपाट, जानिये शीतकाल में कहाँ होते हैं बाबा रुद्रनाथ के दर्शन

उत्तराखंड में कण कण में देवताओं का निवास माना जाता है, और पूरे उत्तराखंड में जिन आराध्य भगवान की पूजा सबसे ज्यादा होती है वो हैं बाबा भोलेनाथ क्यूंकि भगवान शिव ने यहीं हिमालय में सदियों तक अपनी तपस्या की है और फिर भोले बाबा में उत्तराखंड के सभी लोगों की सबसे ज्यादा आस्था है। बाबा केदार के जो उत्तराखंड में सबसे पूज्यनीय धाम हैं उनमें पंच केदार का नाम सबसे महत्वपूर्ण हैं ये पंचकेदार हैं केदारनाथ, मध्यमहेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ और कल्पेश्वर पूरे यात्रा सीजन में इन जगहों पर भक्तों की भीड़ लगी रहती है चाहे वो उत्तराखंड के हों पूरे भारत के हों या विदेश सैलानी हों।

गर्मियों में जहाँ पंच केदार अपने निवास स्थानों पर भक्तों को दर्शन देते हैं वहीँ सर्दियों में यहाँ अत्यधिक ठण्ड और बर्फबारी होने के कारण ये अन्य स्थानों पर विराजमान हो जाते हैं। अब क्यूंकि सर्दियों का मौसम शुरू होने वाला है तो इस क्रम में चतुर्थ केदार रुद्रनाथ के कपाट आज यानी 17 अक्टूबर बुधवार को कार्तिक संक्रांति के पर्व पर सुबह सात बजे विधि विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। भगवान रुद्रनाथ की उत्सव डोली पंचगंगा, पित्रधार और पनार बुग्याल होते हुए रात्रि विश्राम के लिए ल्वींटी बुग्याल पहुँच जायेगी। रुद्रनाथ मंदिर समिति के सदस्य व क्षेत्र पंचायत सदस्य देवेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि 18 अक्टूबर को डोली ग्राम पंचायत ग्वाड़ के जाख राजा मंदिर से होते हुए रात्रि प्रवास के लिए सकलेश्वर महादेव मंदिर में पहुंचेगी और फिर 19 अक्टूबर को डोली गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर में विराजमान हो जाएगी।

चतुर्थ केदार रुद्रनाथ भगवान के दर्शन सर्दियों में गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर में किये जाते हैं क्यूंकि इन दिनों रुद्रनाथ भगवान का यही एकमात्र ठिकान होता है। केदारनाथ धाम के कपाट भैयादूज पर यानी 9 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद होने का समय विजयादशमी के दिन तय किया जाएगा। वहीं ब्रद्रीनाथ धाम सहित द्वितीय केदार मद्महेश्वर और तृतीय केदार तुंगनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि विजयादशमी को घोषित की जाएगी। पंचम केदार यानी कल्पेश्वर के कपाट साल भर अपने भक्तों के लिए हेलंग में खुले रहते हैं।

 


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