Home उत्तराखंड देवभूमि उत्तराखंड का अनोखा मंदिर… जहाँ केवल भगवान शिव जी के मुख...

देवभूमि उत्तराखंड का अनोखा मंदिर… जहाँ केवल भगवान शिव जी के मुख की पूजा होती है

देवभूमि उत्तराखण्ड को भारत का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल कहना बिलकुल भी गलत नहीं होगा। उत्तराखण्ड राज्य के छोटे- छोटे क्षेत्रों में थोड़ी-थोड़ी दूर पर या फिर यूँ कहें कि हर 5 आदमी पर एक मंदिर स्थापित हैं ही। हर मंदिरों को किसी न किसी कहानी व आश्चर्य से भी खूब अच्छी तरह जोड़ा गया है। इन्हीं धार्मिक स्थलों व असामान्य मंदिरों में से एक है, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थापित रुद्रनाथ का मंदिर। समुद्रतल से 3600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रुद्रनाथ मंदिर भव्य प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण है।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड का एक ऐसा मंदिर जहां सिर्फ चिट्टी लिखकर होती है मुरादें पूरी…

इस मंदिर की सबसे दिलचस्प बात यह है कि, इस मंदिर में भगवान शिव जी के एकानन, यानि कि मुख की पूजा होती है। इनके अन्य, बाकि बचे सम्पूर्ण शरीर की पूजा भारत के पड़ोसी देश नेपाल की राजधानी काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर में की जाती है। आपने भारत के कई ऐसे मंदिरों के दर्शन किये होंगे, जो भगवान शिव जी को समर्पित हैं, और वहां उनके लिंग की पूजा की जाती है। पर केवल उनके मुख की पूजा, शायद ही कहीं की जाती है और मंदिर से जुड़ा यही अद्वितीय तथ्य इस मंदिर को सबसे अलग और रोचक बनाता है। यहाँ पूजे जाने वाले शिव जी के मुख को ‘नीलकंठ महादेव’ कहते हैं।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड: भगवान शिव जी के ज्येष्ठ पुत्र का इकलौता मंदिर.. जहाँ शिव को समर्पित की थी अपनी हड्डियां

मंदिर के पास वैतरणी कुंड में शक्ति के रूप में पूजी जाने वाली शेषशायी विष्णु जी की मूर्ति भी है। मंदिर के एक ओर पांच पांडव, कुंती, द्रौपदी के साथ ही छोटे-छोटे मंदिर मौजूद हैं। मंदिर में प्रवेश करने से पहले नारद कुंड है, जिसमें यात्री स्नान करके अपनी थकान मिटाते हैं और उसी के बाद मंदिर के दर्शन करने पहुँचते हैं। रुद्रनाथ का समूचा परिवेश इतना अलौकिक है कि, यहां के सौन्दर्य को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है। इसके चारों ओर शायद ही ऐसी कोई जगह हो जहां हरियाली न हो, फूल न खिले हों। रास्ते में हिमालयी मोर, मोनाल से लेकर थार, थुनार व मृग जैसे जंगली जानवरों के दर्शन तो होते ही हैं, बिना पूंछ वाले शाकाहारी चूहे भी आपको रास्ते में फुदकते मिल जाएंगे। भोज पत्र के वृक्षों के अलावा, ब्रह्मकमल भी यहां की घाटियों में बहुतायत में मिलते हैं।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में ऐसा मंदिर जहाँ पूजा जाता है दुर्योधन, जानिये पूरी कहानी

यहाँ पहुंचें कैसे?

देश के किसी भी मार्ग द्वारा चाहे वह रेल मार्ग हो या हवाई मार्ग या सड़क मार्ग, सबसे पहले इन मार्गों द्वारा आपको ऋषिकेश पहुंचना होगा। ऋषिकेश से आपको चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर का रुख करना होगा जो ऋषिकेश से करीब 212 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऋषिकेश से गोपेश्वर पहुंचने के लिए आपको बस या टैक्सी आसानी से उपलब्ध हो जाती है। एक रात गोपेश्वर में रुकने के बाद अगले दिन आप अपनी यात्रा शुरू कर सकते हैं।

रुद्रनाथ की यात्रा का सही समय

मई के महीने में ही यहाँ की यात्रा शुरू हो जाती है, जब रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खुलते हैं। लेकिन यहाँ जाने का सबसे सही समय होगा अगस्त से सितंबर के महीने, जब यहां खिले फूलों से लबालब घाटियां लोगों का मन मोह लेती हैं। ये महीने ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए सबसे सही समय है।

यह भी पढ़ें: उत्तराखण्ड का रहस्यमयी मंदिर ..लोग कहते हैं कि यहां नागराज और उनकी मणि मौजूद हैं


LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here