भले ही भारत में तमाम लोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को एक अलग नजर से देखते आ रहे हों पर वो यह संगठन लगातार ऐसे प्रयास करने में लगा हुआ है जिससे एक आम भारतीय का भला हो सके। इसी कड़ी में कंप्यूटर शिक्षा सहित धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ स्कूली शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सहयोगी संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) जल्द ही उत्तराखंड में एक मदरसा खोलने की तैयार में है। बता दें कि देहरादून में खुलने जा रहा यह मदरसा, एमआरएम द्वारा देश भर में चलाए जाने वाला छठा मदरसा होगा।
आपको बता दें कि अब तक मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) पांच मदरसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तीन जिलों में है। मुरादाबाद, बुलंदशहर और हापुड़ में एक-एक और मुजफ्फरनगर में दो मदरसे बने हुए हैं। देहरादून में मदरसा के लिए जमीन पहले ही खरीदी जा चुकी है और अब उम्मीद की जा रही है कि यह अगले छह महीनों के भीतर ही शुरू कर दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि एमआरएम छात्रों से मामूली शुल्क भी लेगा। शुरुआत में, मदरसा कक्षा I से III का संचालन करेगा और बाद में इसके फीडबैक को लेकर कक्षाओं को आगे बढ़ाने पर विचार किया जाएगा।
एमआरएम के राष्ट्रीय उप-महासचिव तुषार कांत हिंदुस्तानी ने कहा कि, ‘हमारे मदरसे सुनिश्चित करेंगे कि छात्र सिर्फ क़ाज़ी (शरीयत अदालतों में न्यायाधीश), कारी (मदरसे में धर्म के शिक्षक), इमाम (सामुदायिक नमाज़ के नेता), मौलाना (विद्वान पुरुष) और मुफ़्ती (जो फतवा जारी करते हैं) न बनें, बल्कि इंजीनियर, डॉक्टर, वैज्ञानिक और अन्य पेशेवरों के रूप में भी ग्रैजुएट हो’। ‘हिंदुस्तानी’ मदरसों का उद्देश्य छात्रों में बच्चों को शिक्षित करने के साथ-साथ मानवतावाद और राष्ट्रवाद जैसे मूल्यों को भी विकसित करना होगा। उन्होंने कहा, छात्र एपीजे अब्दुल कलाम और अशफाकउल्ला खान की तरह बनेंगे न कि अजमल कसाब की तरह। उन्होंने कहा कि हर धर्म और बैकग्राउंड के बच्चों को मदरसों में प्रवेश मिलेगा।