उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग जिले के हिमवंत कवि चन्द्रकुंवर बर्त्वाल की कर्मस्थली और महात्म्य अगस्त ऋषि की तपोभूमि में मन्दाकिनी नदी के किनारे बसा है चंद्रापुरी-भीरी का सुंदर क्षेत्र, इस पूरे इलाके में दर्जनों ग्रामसभाएं है जिनका केंद्र बिंदु भीरी है और इसी गाँव की रहने वाली एक बेटी है रंजना रावत। पिछले तीन सालों में ही इस बेटी ने अपनी वो पहचान बनायी है कि दूर-दूर तक इनकी ख्यति फ़ैली हुई है लेकिन इनका ये सफर इतना आसान भी नहीं था| रंजना रावत ने गढ़वाल विश्वविद्यालय से फार्मेसी में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद कुछ साल बहुरास्ट्रीय कम्पनी में क्वालिटी ऑफिसर के रूप में नौकरी में कार्यरत थी।
इस दौरान रंजना को कई रास्ट्रीय स्तर के सेमिनारों में प्रतिभाग करने का मौका मिला जिसमे उन्हें ग्रामीण इलाको की समस्याओं को जाना, मन ही मन रंजना लोगो के लिए कुछ करना चाहती थी, लेकिन वो खुद के अंतर्द्वंद में कैद हो कर रह गई थी, मन करता की लोगों के लिए कुछ करूँ और उनके परिवार वाले उनकी नौकरी से खुश थे, इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम “मन की बात’’ में एक महिला द्वारा पूछे गए प्रश्न कि क्या आपको पता था की आप एक दिन देश के प्रधानमन्त्री बनोगे? तो मोदी जी का जबाब था की नहीं “मैं कभी कुछ बनने का सपना नहीं देखता बल्कि कुछ करने के सपने देखता हूं और जब आप कुछ करते हो तो आपकी मेहनत बेकार नहीं जाती।
उसके बाद रंजान ने भी फैंसला लिया कि वो अपनी नौकरी छोड़ रही हैं और इस बात से जब उन्होंने अपने घरवालों को परिचित कराया तो घर वाले बड़े परेशान हो गये नई उम्मीद, नए सपने और होंसलो को लिए रंजना ने जनवरी 2016 में चमकते भविष्य को छोड़कर अपने गांव की माटी की और रुख किया, और फिर अपने गांव भीरी में ग्रामीण स्वरोजगार मिशन की शुरुआत की। काम के शुरुआती चरण में जरुर रंजना को तमाम तरह की चुनौतियों से जूझना पड़ा लेकिन उन्होंने सभी को चंद पैसों के लिए शहर ना जाकर गांव में ही स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने का कार्य किया, जिसकी परिणाम यह रहा कि पिछले 3 सालों में ही रंजना ने अपने गांव भीरी को आज एक “स्वरोजगार मॉडल विलेज” के रूप में विकसित किया व हजारों लोगों को मशरूम उत्पादन व उद्यानिकी का प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार से जोड़ा।
आज रंजना रावत अपने गाँव भीरी में लगभग 10 नाली व दो पाॅलीहाऊस पर सब्जियां उगाई जा रही हैं, 65 नाली की जमीन में लगभग 1500 फलों के पेड़ लगाए हैं जिनमें से अधिकांश में फल आने लग गए हैं। 1000 sq. Ft. की मशरूम यूनिट बनायी है जिसमें आजकल बटन मशरूम लगा हुआ है। तीन गौशाला हैं और इसके साथ ही तीन मछली पालन हैतु टैंक बनाए हैं जिनमें कुछ महीनों में मत्स्य पालन शुरू हो जायेगा। इसके आगे रंजना का मकसद अपने गाँव को विलेज टूरिज्म हेतु विकसित करने का भी है। रंजना रावत के कार्यों को कई मंचो पर सम्मान भी मिला चुका है, स्वयं यूथ आइकन क्रियेटिव मीडिया भी उन्हें अक्टूबर 2016 में यूथ आइकन “नव ज्योति सम्मान” से सम्मानित कर चुका है। उत्तराखंड सरकार द्वारा भी रंजना के प्रयासों को देखते हुए उन्हें वानिकी विश्वविद्यालय भरसार, पौड़ी गढ़वाल की प्रबंध कार्यकारिणी का सदस्य घोषित किया गया।
उत्तराखंड में पहाड़ों से हो रहे पलायन को रोकने और रोजगार सृजन की जो मुहीम रंजना ने चलाई है वो सुखद है और इसी मेहनत के बदौलत आज उनका नामांकन 2019 में राष्ट्रपति द्वारा मिलने वाले सम्मान “नारी शक्ति पुरुस्कार” के लिए हुआ है जिसके लिए उन्हें आप सभी के वोट व सहयोग की आवश्यकता है। अगर आप चाहते हैं कि आपके पहाड़ की बेटी राष्टपति पुरुष्कार से सम्मानित हों तो नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करके उन्हें वोट दें—