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उत्तराखंड में गुपचुप तरीके से लाया गया पूर्व मुख्‍यमंत्रियों को सुविधा देने का ये प्रस्ताव

उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार अब कानून बनाकर पूर्व मुख्यमंत्रियों की सुविधाएं लौटाएगी, हाई कोर्ट में हार के बाद प्रदेश सरकार अब गुपचुप तरीके से पूर्व मुख्‍यमंत्रियों को इस प्रस्ताव से अब पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए सरकारी किराया दरों पर आवास के साथ निःशुल्क चालक सहित वाहन, ओएसडी, टेलीफोन सहित तमाम सुविधाएं देने का प्रावधान कर किया जा रहा है।

आपको बता दें बता दें कि 13 अगस्‍त को कैबिनेट की बैठक देहरादून में हुई थी। इसमें पूर्व मुख्‍यमंत्री सुविधा अध्‍यादेश 2019 को मंजूरी दी जा चुकी है। अब ये विधेयक विधायी विभाग के जरिये राजभवन जाएगा, जहां से मंजूरी के बाद अधिसूचना जारी होगी। अब जब विधानसभा सत्र होगा, तो उसमें सरकार विधेयक लेकर आएगी और कानून बना पूर्व मुख्‍यमंत्रियों की सुविधाओं को कानूनी जामा पहना देगी। सरकार के नए अध्यादेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को बड़ी राहत मिलने जा रही है। इस अध्यादेश के लागू होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्रियों को सभी दी जाती रहेंगी। अध्यादेश लागू हाते ही किसी अन्य अधिनियम या न्यायालय का कोई निर्णय या आदेश या दिशा-निर्देश लागू नहीं होगा।

पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए दूसरी बड़ी राहत यह है कि उन्हें आवंटित सरकारी आवासों का समय-समय पर कराये गए मरम्मत कार्य का खर्च भी वहन नहीं करना होगा सरकार यह खर्च स्वयं उठाएगी। पूर्व मुख्यमंत्रियों को अगर पेंशन, भत्ता या अन्य सुविधाएं देय हैं तो वे उसके भी हकदार होंगे। बिजली, पानी, एवं सीवर शुल्क भुगतान संबंधित विभाग को दिया जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्रियों को वैयक्तिक सहायक, विशेष कार्याधिकारी, जनसंपर्क अधिकारी, चालक के साथ वाहन, वाहन के लिए पीओएल, वाहनों में मरम्मत कार्य, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, चैकीदार और माली, टेलीफोन अटेंडेंट और सुरक्षा गार्ड भी सरकारी खर्चे पर ही मिलेगा।


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