इस साल 26 जनवरी को दिया जाने वाले वीरता पुरुष्कार उत्तराखंड के लिए भी ख़ास होगा क्यूंकि इस दिन उत्तराखंड की भी एक बहादुर बेटी को राष्ट्रपति के हाथों से वीरता पुरुष्कार प्राप्त होगा। इसके पीछे का कारण पहाड़ की छोटी बेटी में छिपा अदम्य साहस है जो मौत के मुहं से अपने भाई को वापस खींच लायी थी। बात है पौड़ी जिले की ग्राम देव कुंडई निवासी 11 वर्षीय राखी रावत की जिनके पिता का नाम दलवीर सिंह रावत है। इस साल 4 अक्टूबर को वह अपने चार साल के भाई राघव व मां के साथ खेत गई थी।
लौटते वक्त राखी भाई के साथ आगे-आगे चल रही थी और मां शालिनी देवी पीछे थीं। तभी गुलदार ने राखी के भाई पर एक जोरदार हमला कर दिया। इसके बाद गुलदार से अपने भाई को बचाने के लिए राखी उससे पूरी तरह से लिपट गई। गुलदार के पंजों और नाखूनों से लहूलुहान होने के बावजूद राखी ने भाई को नहीं छोड़ा। इतने में पीछे से आ रही मां के चिल्लाने की आवाज सुनकर गुलदार भा गया। राखी इस घटना में बुरी तरह से जख्मी हो चुकी थी जिसके बाद उसका इलाज कई अस्पतालों में चला। और अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है।
उस समय पहाड़ की इस बहादुर बेटी की पूरे उत्तराखंड में जमकर सरहाना हुई थी और लोग उसके जज्बे की तारीफ कर रहे थे। जिसके फलस्वरूप उत्तराखंड राज्य बाल कल्याण परिषद ने राखी का नाम वीरता पुरस्कार के लिए केंद्र को भेजा था। राखी अपने गांव के नजदीक राजकीय प्राथमिक विद्यालय सरकंडाई में कक्षा पांच की छात्रा है। उसने हर वर्ष अपनी कक्षा प्रथम श्रेणी में पास की है। अब बहादुर बच्ची राखी रावत दिल्ली के अच्छे स्कूल में शिक्षा लेने के बाद सेना में अधिकारी बनकर देश की सेवा करना चाहती है।