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41 जिंदगियां बचाने अब रोबोट जाएगा सुरंग के अंदर… लग सकते हैं 2 से 3 दिन

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को सिलक्यारा पहुंचकर सुरंग फंसे मजदूरों को बचाने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को सुरंग के अंदर फंसे लोगों की चिंता है। उन्हें बाहर निकालना सरकार की पहली प्राथमिकता है। यह आपदा के साथ लड़ाई है, जिससे मिलकर जीतेंगे।

41 मजदूरों की जिंदगी बचाने के लिए अब रोबोट की भी मदद ली जाएगी। यह रोबोट सुरंग के अंदर आए मलबे के ऊपर बची थोड़ी सी जगह से दूसरी तरफ जाएगा। इस रोबोट के जरिए दूसरी तरफ पाइप डालने समेत अन्य संभावनाएं तलाशी जाएंगी। यह जानकारी सचिव आपदा प्रबंधन डॉ.रंजीत कुमार सिन्हा ने दी।  वर्तमान में मजदूरों को बचाने के लिए 6 प्लान पर केंद्र व राज्य की करीब छह एजेंसियां काम कर रही हैं। जिसमें सिलक्यारा सुरंग के मुहाने से ऑगर मशीन से ड्रिलिंग, बड़कोट छोर से ड्रिलिंग, सुरंग के ऊपर और दाएं व बाएं तरफ से ड्रिलिंग की तैयारी हो चुकी है। सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग के लिए अस्थायी सड़क का निर्माण भी किया जा रहा है। लेकिन, अब इन पांच प्लान के साथ छठा प्लान भी तैयार किया जा रहा है।

सुरंग के अंदर भूस्खलन के कारण जो मलबा आया है उसके और सुरंग की ऊपरी छत के बीच थोड़ी जगह है। जिससे एक रोबोट को भेजकर देखा जाएगा कि दूसकी तरफ कितनी जगह है। ताकि दूसरी तरफ पाइप डाला जा सके। इस पाइप का इस्तेमाल भी अंदर फंसे लोगों का जीवन बचाने में किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि वह जगह बेहद संकरी होने से वहां कोई छोटा रोबोट ही जा सकता है। ऐसा रोबोट भारत सरकार या किसी निजी एजेंसी के पास उपलब्ध होगा तो वह मंगाया जाएगा। आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. सिन्हा ने बताया कि सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन दिन-रात चलाया जा रहा है। अगर सब कुछ ठीक रहा और ऑगर मशीन से ड्रिलिंग के दौरान कोई बाधा नहीं आई तो रेस्क्यू ऑपरेशन में 30 से 40 घंटे का समय लग सकता है।

भूस्खलन के खतरे के बीच तीसरे दिन रात करीब दस बजे फिर से ड्रिलिंग का काम शुरू कर दिया गया है। वहीं, भूस्खलन का खतरा कम करने के लिए शॉटक्रिट मशीन से स्प्रे किया गया है। वहीं, बैकअप प्लान के तहत सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग के लिए अस्थायी सड़क तैयार करने का काम अंतिम चरण में है।


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