रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे को रुद्रप्रयाग बाजार में अलकनंदा पर बना यह पुल करीब छह दशक पुराना है। और जब पुल इतना पुराना हो तो आप उसकी स्थिति और चौड़ाई के बारे में खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं। यह पुल कितना महत्वपूर्ण है इस बात को बताने के लिए यही तथ्य काफी है कि पूरी केदारघाटी को जोड़ने वाला यह इकलौता पुल था। छह दशक का समय बीतने को है, लेकिन अभी तक पुल पर पुनर्निर्माण कार्य नहीं हो सका है। जिससे इस पुल में हर समय दुर्घटना की संभावनाएं बनी रहती हैं। प्रतिदिन इस पुल से हजारों वाहन आवाजाही करते हैं।
यह पुल रुद्रप्रयाग शहर के बीचोंबीच बेलणी को जोड़ने के लिए साठ के दशक में बना था। वर्तमान में पुल की स्थिति जर्जर बनी हुई है। चारधाम यात्रा के दौरान भी तीर्थयात्री बड़ी संख्या में इस झूलते हुए पुल से गुजरते हैं। पुल काफी संकरा है होने के कारण अक्सर जाम लग जाता है। मोटरपुल पर भारी वाहनों के गुजरने से यह पुल झूलने लगता है। वर्ष 2013 की आपदा के समय भी इस पुल को काफी नुकसान पहुंचा था। जिससे इस पुल में हर समय दुर्घटना की संभावनाएं बनी रहती हैं।
अब जाकर प्रशासन के निर्देशों पर लोनिवि एनएच रुद्रप्रयाग ने नगर में अलकनंदा नदी पर डबल लेन का नया पुल बनाने के लिए स्वाइल टेस्टिग का कार्य शुरू कर दिया है। एक से दो दिन में टेस्टिग का कार्य पूरा हो जाएगा, इसके बाद डीपीआर तैयार कर केंद्र सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। पुल निर्माण के लिए सर्वे का काम चल रहा है। मार्च तक इसके निर्माण की स्वीकृति केंद्र सरकार से मिलने की उम्मीद है, विभाग शीघ्र इसका स्टीमेंट बनाकर स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार के सड़क एवं परिवहन मंत्रालय को भेज दी भेजेगा।