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देवभूमि में मुस्लिम दम्पति ने किया हिन्दू बेटे का ब्याह, ओवेशी और कटियार जैसे लोगों को कुछ सीखना चाहिए

यह कहानी है देहरादून के रहने वाले राकेश की वो जब लगभग 12 साल का था तो उसके सर से माँ-बाप का साया उठ चुका था उसके बाद देहरादून के सिंगल मंडी के रहने वाले मोईनुद्दीन और उनकी पत्नी ने उस 12 साल के बच्चे राकेश रस्तोगी को अपने साथ रखा, मुस्लिम दम्पति ने ये नहीं देखा कि ये एक हिन्दू लड़का है, जहाँ एक और पूरे भारत में लव जेहाद, धर्म परिवर्तन और हिन्दू मुस्लिमों के बीच दुश्मनी कराने में नेता लोगों का बड़ा हाथ रहता है पर इस दम्पति को इन सब बातों से कोई लेना देना नहीं था क्यूंकि उनके लिए इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म थी, और उन्हें एक बात अच्छे से पता थी की खून किसी का भी हो वो होता लाल ही है। मोईनुद्दीन के पहले से ही 2 बेटे और 2 बेटियां थी पर वो राकेश को ही अपना सबसे बड़ा बेटा मानते थे।

उसके बाद  मुस्लिम दम्पति ने राकेश को अपने घर में ही हमेशा के लिए पनाह दी और उन्होंने अपने घर में  मुस्लिम रीतिरिवाजों के साथ साथ हिन्दू रीति रिवाजों को भी शामिल कर दिया। और जब राकेश लगभग 25 साल का हो गया तो अब उन्हें उसके शादी की चिंता सताने लगी और उन्होंने जगह जगह उसके लिए हिन्दू लड़की देखनी शुरू कर दी, पर सब लोग इसलिए मना कर देते क्यूंकि उन्हें लगता था हमारी बेटी किसी मुस्लिम के घर में कैसे रहेगी और पता नहीं वहां का माहोल कैसा होगा, पर अब जब राकेश 27 साल का हो गया था तो  मुस्लिम दम्पति की तलाश पूरी हुई और मोथरोवाला निवासी आत्माराम चौहान की बेटी सोनी से बात जा बनी। सोनी और उसके रिश्तेदार जब राकेश के घर पहुंचे तो वो चौंक गये क्यूंकि राकेश मुस्लिम परिवार का हिस्सा होने के बाद अपने हिन्दू धर्म का पूरी तरह से पालन कर रहा था और घर में जगह जगह हिन्दू देवी देवताओं के पोस्टर भी लगे हुए थे।

बस फिर क्या था सोनी चौहान के घर वाले इस रिश्ते के लिए तैयार हो गये और पूरे हिन्दू रीति रिवाजों के साथ राकेश और सोनी का विवाह संपन हुआ, बल्कि इस शादी की चर्चा पूरे उत्तराखंड में भी रही। इस शानदार मिसाल से एक बात तो समझ आती है कि आम इंसान कभी भी हिन्दू मुस्लिम, धर्म परिवर्तन जैसे मुद्दों में नहीं पड़ता है वो तो ये ओवेशी और विनय कटियार जैसे लोग हैं जो आम इंसान की भावनाओं को भड़काते हैं जिसके कारण ये मुद्दे तूल पकड़ते हैं, आम इंसान चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लिम या सिख या इसाई वो तो बस इंसानों में इंसानियत ही देखता है।


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