केंद्र सरकार की ओर से लागू नए मोटर व्हीकल एक्ट ने पूरे देशभर में अफरा-तफरी का माहौल पड़ा किया है जिससे वाहन मालिकों की परेशानी भी बढ़ा दी है। यहाँ जो सबसे बड़ी समस्या वाहन मालिकों को झेलनी पड़ रही है वो ये कि अगर उनके पास न तो वाहन का प्रदूषण जांच संबंधी कागज है और न बीमा संबंधी। सबसे ज्यादा भीड़ प्रदूषण जांच केन्द्रों पर देखने को मिल रही है। अगर बात परिवहन विभाग के आंकड़ों की करैं तो उनकी नजर में देहरादून की सड़कों पर प्रतिदिन करीब 20 लाख वाहन फर्राटा भरते हैं। इनमें से आधे से ज्यादा वाहन मालिकों के पास प्रदूषण जांच का प्रमाणपत्र ही नहीं है।
राजधानी देहरादून में महज 19 जांच केंद्र हैं। ऐसे नए मोटर व्हीकल एक्ट के कारण प्रदूषण जांच को लेकर मारामारी मची हुई है। परिवहन विभाग की ओर से एआरटीओ प्रशासन अरविंद कुमार पांडे ने बताया कि प्रदूषण जांच और बीमा आदि से संबंधित चालान को लेकर भयभीत होने की अभी कोई जरूरत नहीं है। विभाग द्वारा इस महीने इन दस्तावेजों की जांच को लिए कोई अभियान नहीं चलाया जा रहा है। पुलिस को भी फिलहाल इन दस्तावेजों की जांच न करने को कहा गया है। एआरटीओ ने बताया कि अगर किन्हीं कारणों से आपका चालान हो जाता है, तब भी ना घबराएं। एमवी एक्ट के तहत वाहन के कागजात निर्धारित अवधि में प्रस्तुत कर चालान बगैर जुर्माने के सिर्फ 100 रुपये आर्थिक दंड भुगत कर छुड़ाया जा सकता है।
संशोधित मोटर यान अधिनियम के सख्त प्रावधानों, खासकर प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र बनवाने को मची आपाधापी और इससे पैदा दिक्कतों के बीच परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने आमजन को बड़ी राहत दी है। परिवहन मंत्री ने कहा है कि जब तक प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र बनाने में आ रही दिक्कतें दूर नहीं हो जाती और आम जनता को प्रदूषण जांच केंद्र सुलभ नहीं हो जाते, तब तक इसके उल्लंघन और चालान पर सख्ती नहीं की जाएगी। प्रशासन ने बताया कि विभाग की ओर से प्रवर्तन टीमों को सिर्फ परिवहन व यातायात नियम तोड़ने वालों पर फोकस करने को कहा है। इनमें बिना हेलमेट, बिना सीट-बेल्ट लगाए वाहन चलाने, फिटनेस के बिना वाहन चलाने, ओवरस्पीड और शराबी वाहन चालकों को किसी तरह की रियायत न देने को कहा गया है।