कहने को तो उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है पर जब इस तरह की घटनायें सामने आती हैं तो इस नाम से चिढ़ होने लगती है और अब ऐसी ही एक शर्मनाक घटना आज यानी शुक्रवार की सुबह 20 सितम्बर को घटती हुई है। पहाड़ से लोग इसलिए देहरादून प्रसूता की डिलवरी के लिए आते हैं ताकि यहाँ अच्छे से डॉक्टरों की देखरेख में डिलवरी हो सके और जिससे जच्चा-बच्चा दोनों ही स्वस्थ रहें, इसी उम्मीद में उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ से गर्भवती महिला सूची (27 वर्ष) पत्नी रमेश 15 सितम्बर को देहरादून आ गये थे। इस दौरान उन्होंने देहरादून के प्रसिद्ध सरकारी अस्पातल दून महिला अस्पताल में दाखिला करवाया।
दून महिला अस्पताल में वैसे तो 111 बेड स्वीकृत थे, पर व्यवस्था के अनुसार अस्पताल में कुल 113 बेड किसी तरह स्थापित किये गए हैं पर फिर भी मरीजों के अत्याधिक दबाव के कारण इससे कई अधिक मरीज भर्ती किये जाते थे। बताया जा रहा है कि रोजाना करीब 150-55 नए मरीज भर्ती किए जा रहे हैं जिसके कारण गर्भवती महिलाएं जहां-तहां फर्श पर लेटी मिलती हैं और कहीं तो एक बेड पर दो-दो महिलाएं भर्ती हैं। इन्हीं में से सूची (27 वर्ष) पत्नी रमेश भी पिछले 5 दिनों से फर्श पर ही लेटने को मजबूर थी। इसके बाद आज सुबह जब प्रसूता को दर्द होना शुरू हुआ तो डॉक्टरों ने फर्श पर ही डिलवरी करानी शुरू कर दी।
इस दौरान फर्श पर ही जच्चा-बच्चा दोनों की मौत हो गयी, जिसके बाद पूरे अस्पातल में हंगामा मचना शुरू हो गया था घटना के बाद परिजनों और अस्पताल में मौजूद लोगों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा करना शुरू कर दिया। इसके बाद सीएमएस ने डाक्टर पर कार्रवाई की बात की तब जाकर परिजन शांत हुए। पहले दून महिला अस्पताल गंभीर स्थिति में गर्भवती महिलाओं को श्री महंत इंदिरेश अस्पताल रेफर कर देता था क्यूंकि इसका एनएचएम के तहत अनुबंध था। जिसके तहत इलाज का खर्च सरकार वहन करती थी, पर मेडिकल कॉलेज बनने के बाद यह व्यवस्था भी भंग हो गई और अब अस्पताल प्रशासन नियमानुसार केवल एम्स ऋषिकेश या पीजीआइ चंडीगढ़ को ही मरीज रेफर कर सकता है जिसके कारण भी यहाँ भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।