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उत्तराखंड: लॉकडाउन में फंसा माइकल गढ़वाली भी सीखा और खेतों में गेहूं भी काट रहा है

भारत में पिछले 25 मार्च से लॉकडाउन चल रहा है और जो फिलहाल 17 मई तक चलता रहेगा और बहुत जल्द सरकार लॉकडाउन 4.0 का भी ऐलान कर सकती है। लॉकडाउन के कारण देशभर में लोग अपने घरों के अन्दर ही रहने को ही मजबूर हैं सबकुछ सामान्य हो जाए इसके आसार दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं। लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में उत्तराखंड में विदेशी नागरिक भी फंस गए थे। जिसमें से अधिकतर वापस अपने-अपने देशों में जा चुके हैं जबकि कई लोग अब भी देवभूमि में ही रुकना पसंद कर रहा हैं। ऐसे ही एक विदेशी युवा से आपको यहाँ रूबरू करवा रहे हैं जो इस वक्त पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है।

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इंग्लैंड का 35 वर्षीय माइकल एडवर्ड बीते 14 फरवरी को टूरिस्ट वीजा पर भारत आया था। इस दौरान वो देशभर में घूमा यहां वह उत्तरकाशी घूमने आया तो वरुणावत शीर्ष पर स्थित संग्राली गांव ने उसे अपनी ओर आकर्षित किया। यहां उसकी दिवाकर नैथानी से मित्रता हुई और दिवाकर ने उसे अनेकों जगह घुमाया। बीते 21 मार्च को वह ऋषिकेश से उत्तरकाशी लौटा और अगले ही दिन लॉक डाउन होने के कारण वह उत्तरकाशी में ही फंस गया। पुलिस द्वारा पूछताछ करने पर उसने संग्राली गांव के दिवाकर नैथाली से मित्रता की जानकारी दी और जब उससे पूछा गया कि उसे वापस जाना है तो उसने मना कर दिया और कहा कि वो कुछ और समय यहाँ रहना चाहता है। तब प्रशासन ने उसे संग्राली गांव स्थित विमलेश्वर महादेव मंदिर में क्वारंटीन कर दिया।

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लॉकडाउन के दौरान उत्तरकाशी में फंसे युवक माइकल का नाम हर किसी की जुबान पर आ गया है जो  अब कुछ हद तक गढ़वाली भाषा भी सीख गया है। दिन बीतने के साथ माइकल को यहां का रहन सहन रास आने लगा। वर्तमान में गाँव में रहकर खेतों में गेहूं की कटाई भी कर रहा है। वह गांव में पूरी तरह घुलमिल कर ग्रामीण जीवन का भरपूर लुत्फ ले रहा है। माइकल मंदिर की ओर घूमने आने वाले बच्चों के बाल अपने ट्रिमर से बनाकर उनके बीच भी खासा लोकप्रिय हो गया है।  माइकल मंदिर में रहते हुए यहां मंदिर के पुजारी स्वामी चैतन्य गिरी महाराज की भी सेवा कर रहा है। माईकल का कहना है कि प्राकृतिक रूप से समृद्ध इस क्षेत्र की स्वस्थ आबोहवा और यहां का मौसम उसे बहुत अच्छा लग रहा है। पहाड़ का ग्रामीण जनजीवन भी बहुत अच्छा है।

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