उत्तराखंड बगैर अनुमति के धर्म परिवर्तन करके शादी करना युवक-युवती को भारी पड़ गया। जिला प्रशासन ने इस पर संज्ञान लेते हुए उन दोनों के साथ ही पंडित और दो गवाहों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। युवक-युवती और गवाह रुड़की के रहने वाले हैं, जबकि शादी कराने वाला पंडित उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले का निवासी है। मामला हरिद्वार जिले के ज्वालापुर निवासी मुस्लिम युवती और रुड़की निवासी युवक से जुड़ा है। जिलाधिकारी सी रविशंकर के निर्देश पर अपर जिलाधिकारी बीके मिश्रा ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम के तहत इस संबंध में रिपोर्ट दर्ज कराई है।
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पुलिस के मुताबिक नवंबर, 2020 में ज्वालापुर निवासी अफसाना ने रुड़की निवासी मोहित के साथ उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नजीबाबाद स्थित आर्य समाज मंदिर में शादी की थी। आरोप है कि इसी दौरान मंदिर के पुजारी आचार्य शोभित ने अफसाना का धर्म परिवर्तन भी कराया था। उस दिन युवती ने अपना नाम अंजली रख लिया था। इसके बाद युवक-युवती पति-पत्नी के रूप में साथ रहने लगे। कुछ दिन पहले अफसाना उर्फ अंजली ने जिलाधिकारी कार्यालय में प्रार्थना पत्र देकर कानूनी रूप से धर्म परिवर्तन की अनुमति मांगी। प्रार्थना पत्र के साथ उसने आर्य समाज मंदिर में धर्म परिवर्तन करने और शादी के दस्तावेज लगाए। यहीं से मामला पकड़ में आया।
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बगैर अनुमति धर्म परिवर्तन का पता चलने पर जिलाधिकारी ने इसे गैर कानूनी मानते हुए अपर जिलाधिकारी को कार्रवाई करने को कहा। अपर जिलाधिकारी की तहरीर के आधार पर ज्वालापुर कोतवाली पुलिस ने मामला दर्ज किया। मुकदमे में शादी के वक्त बतौर गवाह मौजूद रहे रुड़की के सोलानीपुरम निवासी अरविंद और अंबर तालाब निवासी मोहित के साथ ही शादी कराने वाले पंडित आचार्य शोभित को भी नामजद किया गया है। कोतवाल ने बताया कि उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2018 के तहत कोई भी धर्म बदलने से पहले जिलाधिकारी के स्तर से इसकी अनुमति लेनी की होती है। बिना किसी दबाव के धर्म परिवर्तन की स्थिति में जिलाधिकारी इसकी अनुमति देते हैं।