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सीएम त्रिवेंद्र के सामने अफसर खुलेआम उड़ा रहे नियमों की धज्जियां, शासनादेश को दिखाया ठेंगा

उत्तराखंड वन विभाग के मुखिया मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों से भी मंहगी सरकारी गाड़ी में घूम रहे हैं। जिसके बाद उनपर अवमानना का मामला सामने आया है। मामले में उत्तराखंड शासन के परिवहन विभाग द्वारा जारी शासनादेश में उत्तराखंड राज्य के विशिष्ट एवं अति विशिष्ट लोगों के लिए सरकारी वाहनों का विभाजन किया गया था।

लेकिन उत्तराखंड वन विभाग के मुखिया PCCF(HoFF) 20 लाख से भी ज्यादा महंगी इनोवा (क्रिस्टा) कार में चल रहे हैं. यह सीधे-सीधे मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों के खुलेआम अवमानना का मामला है. उत्तराखंड परिवहन विभाग ने 10 मार्च 2016 को मंत्रियों और अधिकारियों के लिए वाहन के संबंध में एक आदेश जारी किया था.  जिसमे कहा गया है कि मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, मुख्य सचिव, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, पुलिस महानिदेशक व वन विभाग के मुखिया सहित प्रमुख वन संरक्षक स्तर के अधिकारी 15 लाख रुपये तक की कार का इस्तेमाल कर सकते हैं. मगर इस शासनादेश को ना मानते हुए वन विभाग के मुखिया 20 लाख रुपये से भी महंगी इनोवा क्रिस्टा जैसी लग्जरी कार से चल रहे हैं. यह मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों का न केवल अपमान है बल्कि अवमानना का मामला भी बनता है. जानकारों की मानें तो उत्तराखंड जायका परियोजना के अंतर्गत उत्तराखंड शासन के इस शासनादेश का उल्लंघन करते हुए मानकों के विपरीत लग्जरी कारों की खरीदारी की गई है. उत्तराखंड सरकार द्वारा एक तरफ खर्च कम करने का ढोल पीटा जा रहा है तो दूसरी ओर वन विभाग के मुखिया इसी ढोल की पोल खोलते हुए नज़र आ रहे हैं.

उत्तराखंड के कई विभागों में अधिकारी महंगी कार में चल रहे हैं और परिवहन विभाग के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. ऐसे में शासन द्वारा जारी आदेश का क्या महत्व रह जाता है. उत्तराखंड सरकार के इस शासनादेश के अनुसार एक अधिकारी- एक वाहन का नियम लागू है, लेकिन शासन में लगभग प्रत्येक आईएएस अधिकारियों के पास तीन-तीन कारें हैं. अब ऐसे में जीरो टोरलेंस के नाम पर सत्ता में काबिज भाजपा मुख्यमंत्री को देखना होगा कि वे इन अफसरों के खिलाफ क्या कार्रवाई करते हैं!