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उत्तराखंड आईएमए अध्यक्ष बोले यह लड़ाई अहंकारी, मुनाफाखोर व्यापारी रामदेव से न कि योग-आयुर्वेद से

देशभर में इस समय कोरोना से भी बड़ा कोई मुद्दा बन गया है तो वह है बाबा रामदेव vs आईएमए। उत्तराखंड में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के प्रदेश अध्यक्ष डा. अरविंद शर्मा ने अब इस बात पर स्पष्ट कहा है कि उनकी लड़ाई योग और आयुर्वेद से नहीं बल्कि एक अहंकारी व्यापारी से है, जो अपनी दवा बेचने की लालसा में इस विवाद को राष्ट्रवाद का रूप देकर लड़ाई को आयुर्वेद बनाम एलोपैथी बनाने के प्रयास में लगा हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि बाबा रामदेव के खिलाफ कार्रवाई न हुई तो आईएमए आंदोलन के लिए बाध्य हो जायेगी।

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डा. अरविंद शर्मा ने अपनी बात और आगे बढ़ाते हुए कहा कि कि एलोपैथी विज्ञान आधारित है। इसमें तमाम बीमारियों को जड़ से खत्म करने और कुछ को रोकने के वैज्ञानिक प्रमाण हैं,  जबकि विश्व में कोई दूसरी पद्धति इतनी प्रमाणिक नहीं है। उन्होंने रामदेव से जानना चाहा है कि आयुर्वेद पद्धति से उन्होंने कोविड संक्रमण कितने रोगियों का इलाज किया है और रोगियों को किन-किन आयुर्वेदिक संस्थानों में भर्ती कराया। आईएमए की लड़ाई उस बाबा रामदेव से कतई नहीं है जिसने योग विद्या को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाया, बल्कि विशुद्ध रूप से मुनाफाखोर व्यापारी से है। डा. शर्मा  ने कहा कि एलोपैथी में पौधों में दवाइयों का सॉल्ट खोजा जाता है। रामदेव और उनके अनुयायी बताएं कि उन्होंने कौन से पेड़-पौधे से क्या सॉल्ट खोजा। वह पूरे पौधे को ही दवा के रूप में इस्तेमाल करते हैं।

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अल्प शिक्षित होने के कारण उन्हें न तो आयुर्वेद का कोई ज्ञान है और न ही एलोपैथ का। यदि रामदेव के पास कोरोना के सफल इलाज की कोई दवा है तो उसे सामने लाना चाहिए। वहां आईएमए के शाखा अध्यक्ष डा. एसके अग्रवाल भी थे। डा. अरविंद शर्मा ने बताया कि आईएमए ने बाबा रामदेव की खुली बहस की चुनौती को स्वीकार कर उनकी ओर से उठाए गए सवालों पर बहस के लिए  डॉक्टरों का एक पैनल गठित कर दिया है। योग गुरु बाबा रामदेव ने फार्मा कंपनियों के बाद अब निजी अस्पतालों के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि देश के नामचीन अस्पतालों ने कोरोना के इलाज के नाम पर लूट मचाई है। इलाज के लिए कभी इंजेक्शन तो कभी स्टेरॉयड देकर मरीजों की इम्यूनिटी कमजोर कर रहे हैं। जिससे मरीज ब्लैक और व्हाइट फंगस की चपेट में आकर मर रहे हैं। बाबा ने कहा, क्या करूं पहले ही पंगे बहुत ले लिए हैं।

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