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गढ़वाली हैं तो जरुर पढें ये ब्यो की चिट्ठी, आपका दिन बनाने के साथ-साथ आपको देगी प्रेरणा

आज तक आपने सेकड़ों शादी के कार्ड देखे होंगे जो महंगे से महंगा सस्ते से सस्ता, खुबसूरत, साधारण सा, डिज़ाइन वाला और भी पता नहीं क्या क्या, पर इन दिनों इन्टरनेट पर और सोशल मीडिया पर एक शादी का कार्ड बहुत ही तेजी से वायरल हो रहा है जिसकी चारों और बहुत तारीफ़ हो रही है, वैसे इसे शादी का कार्ड कहने की जगह ब्यो की चिट्ठी कहना उचित होगा क्यूंकि खुद इस कार्ड पर ऐसा ही लिखा गया है और इसकी दूसरी ख़ास बात यह है कि इस कार्ड का डिज़ाइन आम शादी के कार्ड की तरह नहीं है बल्कि इसका डिज़ाइन है पोस्टकार्ड जैसा जो हमें हमारे पुराने दिनों की याद ताजा करता है जब हम अपने करीबी, सम्बन्धी को हाल चाल जानने या जरुरी सूचना को देने के लिए पोस्टकार्ड का प्रयोग किया करते थे पर जबसे इन्टरनेट और मोबाइल की दुनियां आयी है तबसे पोस्टकार्ड बस धूल फांक रहा है।

इस ब्यो की चिट्ठी (शादी का कार्ड) की सबसे बड़ी विशेषता की बात करे तो वो ये है कि ये पूरा कार्ड गढ़वाली भाषा में बनाया गया है और इसमें शब्दों का इतने सुन्दर ढंग से प्रयोग किया गया है कि अगर आप शुरू के एक लाइन पढ़ लें तो आप पूरा कार्ड पढ़े नहीं रह सकते हैं, और इसके साथ ही यह कार्ड बेटी बचाओ बेटी पढाओ, भाषा बचाओ संस्कृति बचाओ जैसे संदेश भी देती है। अगर इस ब्यो की चिट्ठी की बात की जाए तो ये लड़के पक्ष की तरफ से छापा गया है। दुल्हे का नाम श्रवण है और दुल्हे के पिता हैं का नाम है विष्णु प्रसाद सेमवाल।

दुल्हे के पिता विष्णु प्रसाद सेमवाल ने ही इस कार्ड को इस तरह से डिज़ाइन किया है, वो खुद एक लेखक हैं और संस्कृति प्रेमी मिजाज होने के कारण ही इस बात ने उन्हें ये प्रेरणा दी कि वो कुछ अनूठा कर सकें। इस कार्ड को डिजाइन किया है युवा चित्रकार अतुल गुसांई ने। अब तक विष्णु प्रसाद सेमवाल कई किताबें भी लिख चुके हैं और प्रदेश में उन्हें अब तक कई सम्मान भी मिल चुके हैं, हाल में ही मेरठ में गांव के लिए काम करने पर उत्तराखण्ड गौरव सम्मान से प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सम्मानित किया था।  और उन्होंने इस कार्ड पर अपनी बात कहते हुए कहा कि-

इस ब्यो की चिट्ठी को छपवाने का उद्देश्य उत्तराखंड की संस्कृति और भाषा को बचाना है।