उत्तराखंड को देवभूमि यूँ ही नहीं कहा जाता क्यूंकि एक तो यहाँ के हर जगह हर इलाके में देवताओं का वास माना जाता है और एक और बात है जो इससे भी बढ़कर है वो ये कि यहाँ के लोग इतने सच्चे, ईमानदार होते हैं कि पूछिए मत और सबसे बढ़कर है यहाँ के लोगों की इंसानियत। हमेशा हमें उत्तराखंड की इस पावन धरती पर इंसानियत की ऐसी मिसालें मिल जाती हैं जिन पर हमें गर्व महसूस होता है ऐसी ही एक और मिसाल से हम आपको यहाँ रूबरू करवाते हैं जहाँ मजहब से बढ़कर इंसानियत को समझा जाता है। देहरादून के श्री महंत इंदिरेश अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थी 16 साल की नेहा कश्यप, 28 मई को टाइफाइड के चलते अनिल कश्यप की इस लाडली बेटी को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था।
कल यानी बुधवार को जब नेहा की हालत काफी बिगड़ गयी थी तो उसे खून की जरुरत पड़ी लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद पूरे देहरादून शहर में बी नेगेटिव रक्त नहीं मिला, जब अस्पताल प्रशासन इस बात से निराश हो गया तो उन्होंने बी नेगेटिव खून वाले व्यक्ति की खोजबीन शुरू कर दी, काफी खोजबीन के बाद टर्नर रोड निवासी जैन काजी (24) का मोबाइल नंबर पता चला जो इसी ब्लड ग्रुप से हैं। इसके बाद जैन काजी से जब संपर्क किया गया तो पता चला कि वो रोजे से हैं फिर वो खुद तो आने के लिए राजी हो ही गये थे पर फिर भी उन्होंने एक बार अपने माता पिता से राय लेना उचित समझा जिस पर उनके पिता रहबर अनवर और माता सलमा रहबर ने उन्हें नेक काम के लिए तुरंत इजाजत दे दी।
इसके बाद अस्पातल पहुंचकर जैन काजी ने डॉक्टरों के सलाह पर अपना रोजा तोड़कर रक्तदान किया, और फिर उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ इंसानियत में यकीन रखने वाला व्यक्ति हूँ, कुछ सियासी लोगों ने हमें बांट दिया है और ऐसे लोगों से हमें हमेशा सावधान रहने की जरुरत है इसी तरह हम सभी को एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।